Title: एक अजीब दोस्त
विनय की जिंदगी एक सिम्पल सी थी। ऊपर से एक आम इंसान जैसी थी लेकिन उसको एक अजीब सी आदत थी, वो हर दिन एक अलग दोस्त बनाता था। वो दोस्त उसकी सोच से साधारण से ज्यादा अजीब थे।
एक दिन विनय को पता लगा कि एक पुरानी मस्जिद में एक डायमंड का खजाना छिपा हुआ है। विनय को लगा कि वह कुछ कर सकता है तो वह दोस्त बनाने के लिए वहां चला गया।
पहले दोस्त था एक दुबला-पतला आदमी। वह बड़े उत्सुकता से विनय से स्वागत कर रहा था। उसने विनय से पूछा, “आप यहां क्या कर रहे हैं?”
विनय ने जवाब दिया, “मुझे एक डायमंड का खजाना ढूंढना है।”
दोस्त ने उत्सुकता से पूछा, “कैसे खुश हूं मैं आपसे मिलकर। कब आप यहां होंगे?”
विनय ने बताया, “मैं कल वापस आऊंगा।”
दुबला-पतला आदमी नाम लिखते हुए बोला, “मैं आपको अपनी उल्फत और अपनी मित्रता के साथ खुश रखूंगा।” और उसने अपनी गोटी के संग सलामत विनय को छोड़ दिया।
अगला दोस्त एक खतरनाक औरत थी। उसके हाथ में एक बड़ा सा कुछ था और उसने विनय के पास आते ही वह उसके सामने से गुजर कर फिर से दौड़ निकली।
विनय ने उसे पीछे से बुलाया, “आप यहां क्या कर रहे हैं?”
औरत ने स्वर में बड़ी हानिकारकता से जवाब दिया, “मैं एक विश्वास निष्ठा से हूँ। अगर आप भी हमारे संघ का हिस्सा बनना चाहते हैं तो मेरे साथ चलिए।”
विनय ने हिल ना सके, लेकिन इसे ध्यान से सुनते हुए उसने कहा, “धन्यवाद में पास हूँ। लेकिन मुझे अपने काम से पहले शोध करना होगा।”
औरत ने उसे एक इंगित से समझा दिया था कि वह उसकी सहयोगी नहीं होगी। और उसके भयंकर दहेज में से एक कलश निकाल दिया था। उसने कहा, “यह कलश दहेज में डाला है। एक बार यह उठ जाएगा तो मैं आपको उस थाने पर ले जाऊंगी जहां आप खोज कर रहे हैं।”
विनय ने अनुमति ली लेकिन इसे समझ गया था कि यह एक दस्तावेज़ था जिसे वह अपने अजीब दोस्त से अलग-अलग इंसानों को खोजने में मदद मिलती है। वह एक उद्यमी दोस्त को खोजता हुआ आखिरकार उनकी मदद से वह डायमंड का खजाना ढूंढ निकाला लेकिन यह उसके अजीब दोस्तों के शुभकामनाओं से पहले ही उसे छोड़ दिया था।
उसे कोई नहीं पूछता कि उसका दोस्त होने वाला अजीब इंसान क्या करता है। वह उसे न पहचान सकता था और न उसे पसंद करता था, लेकिन वह उसे समझता था। विनय की जिंदगी उसके अजीब दोस्तों की वजह से थोड़ी से मस्त थी, लेकिन उसे कभी नहीं लगा था कि उससे बढ़कर कुछ हो सकता है।
यहीं काफी होता होगा !