Title: एक अनूठी दोस्ती
एक छोटे गांव में रहने वाले समीर की जिंदगी में खुशियों की कमी थी। समीर की आई संजना और बाप नरेश सिर्फ इतना ही कर पाते थे कि घर चलाने का पैसा कमाएं। हालांकि, समीर के पास एक अनोखी खुशी थी जो उसे अपने साथ ले जाती थी।
उसका नाम था राजू। राजू एक पालतू गधा था जिसे समीर के बाप ने दिया था। समीर के लिए राजू ने उसकी समस्याओं का सामना किया था और उसे खुश रखने का प्रयास किया था।
एक दिन, समीर को स्कूल से छुट्टी मिली थी, लेकिन उसे अकेले घर जाना पड़ा। वह बहुत ऊब था और उसे उस दिन घर में अकेले होने की वजह से बहुत असुरक्षित महसूस हुआ।
फिर उसने राजू को देखा जो उसे सड़कों पर उसका इंतजार कर रहा था। समीर ने राजू को ऊपर से बुलाया और उसे अपने साथ घर ले गया। राजू समीर की मदद करने के अलावा उसे प्रतिफल देने में संतुष्ट था।
दोस्ती को मजबूत करने के लिए, उन्होंने अपने साथ स्कूल जाना और वहां घंटों इंतजार करने के बाद एक साथ छुट्टी बिताई। जैसे ही समीर घर लौटा, उसने राजू के लिए एक घर बनाने का फैसला लिया।
अब समीर उसे अपने साथ नहीं ले जाना चाहता था फिर भी उसने राजू से अपनी दोस्ती का प्रभाव नहीं छोड़ने का फैसला किया।
परिवर्तन की प्रेरणा से प्रेरित होते हुए, समीर सोचा कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने और उन्हें अधिक शिक्षा देने के लिए अधिक पैसे कैसे कमा सकता है। उसने सोचा कि वह एक ऑफिस में काम कर सकता है जहां उसे अधिक वेतन मिल सकता है।
पर वह अकेला नहीं था। वह अपने मित्र राजू को ले जाना चाहता था। उसने राजू को स्कूल में बुलाया और उसे उसके साथ ऑफिस ले जाने के लिए आमंत्रित किया। राजू खुश था कि उसका साथी उसके साथ था।
वह अपने मित्र समीर की परेशानियों से अवगत था लेकिन कुछ नहीं कर सकता था। वह समीर के साथ सिर्फ उसका साथ देना चाहता था।
राजू समीर के साथ ऑफिस गया था और वहां समीर ने उसे अपने ऑफिस में एक नौकरी दी। प्रत्येक दिन, वे साथ में काम करते थे और अपने मूंछों में मिनटों तक खुल के मुस्कुराते थे।
दूरदर्शन ने एक बार एक पालतू गधे की कहानी दिखाई। समीर और राजू इसे देखते थे और सोचते थे कि वे भी ऐसी ही कहानी बन सकते हैं।
एक दिन, उन्होंने अपने मित्रों को अपनी मदद करने का आह्वान किया। वे अपनी मित्रता के लिए उन्हें उनके घर में आमंत्रित किए।
अपने घर में, वे उद्योगशीलता से बातें किया करते थे और आपस में नए-नए विचार विस्तारित किए जाते थे। वे सबको प्रेरित करते थे और एक-दूसरे के लिए अपने सहयोगी होते थे।
इस तरह, समीर और राजू की दोस्ती ने उन्हें संघर्षों और मुश्किलों से उभरने में मदद की और उन्हें एक दूसरे के लिए बेहतर बनाने में मदद की। इस दोस्ती का मूल्य समझते हुए, दोनों मित्रों ने अपनी जिंदगी में खुशियों की कमी की शिकायत नहीं की।
उनकी दोस्ती उन्हें बेहतर बनाने के लिए काफी है।