Title: एक परिवार की कहानी
एक छोटा सा शहर था, जहाँ के दो बहन-भाई, राजा और राजकुमार, पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही अच्छे थे। लेकिन उनके परिवार की तंगों के कारण, वे खुश नहीं रह पाते थे। सर्दियों में उनका छत्ता भी काफी दुखद अवस्था में होता था जिसकी वजह से वे ठंड से बच नहीं पाते थे।
एक दिन, राजा ने सोचा कि उन्हें आपसे एक घड़ियाल के बच्चे को उसकी मां से छुड़वा कर लाना चाहिए। वह अपने भाई को भी अपनी मदद करने के लिए बुला लेता है।
अगले दिन, राजकुमार और राजा इलाके के छोटे-छोटे गांवों में जाकर इंसानों से बचने वाले घड़ियालों के बच्चों की खोज करते हुए नदी के किनारे एक थोड़े से गुप्त स्थान में एक बच्चे या बच्ची की मां को तलाशते हुए पहुँचते हैं। उन्हें मिलता है।
बच्चा बहुत नाजुक था। उन्होंने बच्चे को उठाकर उसी वक्त स्वयं की वाहवाही से अपने घर ले जाया। वह उन्हें बहुत ध्यान से तैयार करता है। वह उनके घर के शर्तों को जानता था और सभी शर्तों पर ध्यान देता था। बच्चा कम-उम्र था इसलिए उसे दो बार दूध पिलाता था।
राजकुमार के लिए परेशानियां थम नहीं रही थीं। उन्होंने सोचा कि अब कुछ करने का समय आ गया है। वह लोगों से उस बच्चे के बारे में बात करने लगता है। उसके बारे में सुनकर लोग सोचते है कि शायद किसी संस्था की मदद से कुछ करना चाहिए। राजकुमार ने सोचा कि वो अपनी डाक्टरी को उस बच्चे के लिए हर महीने पैसे भेज सकता है। और राजा ने अपने मित्रों से आवाज उठाकर सोशल वर्कर से बात कर ली। सोशल वर्कर को उस बच्चे को नौकरी दिलाने में भी मदद मिली।
बच्चे की सहायता के लिए उनसे बचाव के जन्मदाता से मिलने के लिए समय निकालने लगता है। उन्होंने अकेले नौकरी करने वाले लोगों से भी मिला। ये लोग बताते थे कि दुनिया बिल्कुल नहीं बदली है। हमें बस उसे उसकी सहायता करनी होगी।
धीरे-धीरे बच्चा बड़ा होता जा रहा था। राजकुमार की दादी बहुत खुश थी। उन्होंने बच्चे को अपने संतानों की तरह पाला था। वह बच्चे की विद्या, तरक्की, और कुछ ठोस करने के लिए बहुत ही प्रभावी तरीके से पॉश करने लगी।
अब, राजकुमार मर गया है। उसके जाने के बाद, बच्चा अपनी दादी के साथ रहने लगा है। उसके घर में उसका जीवन नहीं अस्थाई रूप से बदल गया था। उसने बच्चे को छूने की स्थिति को संभालना सिखाया। वह उसे ग्लोबल मण्डी में लाने के लिए कहता था। वह बच्चे को पढ़वाने का पूरा ध्यान देता था। वह बच्चे की पहिया चलाने लगता है।
कुछ वर्षों बाद, उसके मालिकों को उस बच्चे की समझ में आता है कि वे दुनिया में एक सुविधाजनक विकलांग क्षेत्र बना सकते हैं। लेकिन यह संभव नहीं हो पाता क्योंकि भविष्य की संभावनाओं को देखते वह एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करते हैं। वह दिल के सबसे करीबी लोगों से काम करता है। अपने आदर्शों की अनुसरण करते हुए, वह अपने कार्यों को बढ़ाते हुए नौकरियों को प्रशिक्षित करता है।
इस रूप में, बच्चा आज एक सफल व्यक्ति हो गया है। वह अपने परिवार का एक हिस्सा है। उसके माता-पिता हमेशा उसके साथ रहते हैं। वह हर एक दिन मज़े लेता है और उसे उसकी सफलता का गर्व होता है। उसने प्राप्त किया है, जो उसे चाहिए था। वह कभी नाकाम नहीं हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम अपनी मेहनत और उद्देश्यों पर ध्यान देते हैं तो हमेशा सफलता हासिल की जा सकती है। यह सिर्फ हमारी श्रम का नतीजा होगा।