खोज में राजा
एक समय की बात है, जब हर जगह विद्या ग्राम होते थे। इन ग्रामों में सभी विद्यार्थी सीखने और बढ़ने के लिए जुटते थे। इन सभी विद्यार्थियों में एक लड़का था जो अपने दोस्तों से अधिक हेतु अच्छा होना चाहता था। उसने अपने दोस्तों से पूछा कि वह उनसे क्या करें जो उसे प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में मदद करेगा। उसके दोस्तों ने उसे एक राजा से मिलने की सलाह दी।
लड़का इस सलाह को मानते हुए राजा के पास जा पहुंचा। वह राजा पेड़ से चढ़ते हुए लोगों को एक साथ जोड़ देखना चाहता था और उनसे बहुत सारा धन खर्च करता था। लड़का ने राजा से अपनी समस्या बताई और उससे मदद की अपील की।
राजा ने उससे एक कठिन परीक्षा देने की अपील की। राजा ने उसे बताया कि कुछ खोज तलाशी करके लेकर आना और अगले दिन फिर से उससे मिलेंगे। लड़का बहुत सोचने के बाद मान गया।
अगले दिन लड़का अपनी खोज करने के लिए निकला। उसने बहुत सारे पहाड़ और धार को किनारों तक जा पहुंचा लेकिन उसे उत्तर नहीं मिला। आखिर उसने एक गढ़ देखा और उसे अच्छी तरह से खोजा। वह गढ़ में आगे बढ़ता रहा। वह एक ढोलकी की धुन में मेरठ से एक वैष्णव संत से मिला।
लड़का ने संत से विद्या के बारे में पूछा। संत ने बताया कि वह जाति और धर्म के अनुसार छात्र को एक से अधिक भाषा में पढ़ना चाहिए। संत ने उसे चिट्ठी दी जिसमें वह स्कूल जाने के लिए आवेदन कर सकता था।
लड़के ने चिट्ठी ली और राजा के पास वापस आया। वह राजा के सामने चिट्ठी फैला दी और उसे कहा कि संत के अनुसार वह एक से अधिक भाषा में पढ़ना चाहता है और इस साल उसे स्कूल जाना है।
राजा ने जवाब दिया कि यह उत्तम है। लड़का बेहतरीन बनने के लिए समय लगाएगा। राजा ने उसे एक अनोखा बच्चा बनने के लिए प्रोत्साहित किया और अनेक अवसरों पर उसका उत्तरदायित्व दिखाया।
बच्चा अपनी छोटी उम्र में उपयुक्त नहीं लगता था, लेकिन राजा ने उससे उम्र की कोई महत्व नहीं होती कहा। बच्चा ने स्कूल जाना शुरू कर दिया और एक उत्तराधिकारी बिना सोचे समझे बन गया।
सभी छात्रों ने उससे समझा कि वह एक उत्तरदायी नहीं है, सभी के बीच एक दोस्त है। लड़का सीख रहा था कि सही तरीके से सोचने और फिर बात करने से ज्यादा सफलता मिलती है। हर उत्तरी स्कूल समिति ने बच्चे को सम्मानित किया और उसे युद्ध सिंह के साथ एक मुकाबले में अपना शीर्षक जीतने का संबंध बनाया।
इस क्रम में लड़का बहुत समझ गया कि सोचने से उसे सीखने और खोजने में बहुत सफलता मिलती थी। वह जानता था कि कम उम्र में बहुत से लोग उन्हें स्तनीयता के नाम पर ठगते हैं लेकिन वह अपने स्वार्थ के मामले में कभी नहीं था। उसने सभी अपनी नई उपलब्धियों से सौभाग्य स्वीकार करने में मदद की।
वह समय के साथ समस्याओं में धीरज तथा उन्हें हल करने में मदद की। उसने समझ लिया कि कामयाबी का मार्ग सफलताओं और असफलताओं से होता है। उसने सभी लोगों के सम्मान करने और उनकी नज़र में बुराई करने की कला सीखी। उसने सफलता पाई और अपने सपनों को पूरा करने में मदद की।