Title: गुमनाम हत्या (Anonymous Murder)
वरुण और आकांक्षा के बीच बहुत जल्द शादी होने वाली थी। वरुण अपने वक़्त की ख़ुशी से एक कमरे को ख़रीदने की योजना बना रहा था। वह कमरा सेंट्रल मार्केट में था, जो इस शहर का सबसे बड़ा मार्केट है। कोई भी चीज यहां आसानी से मिल सकती है। उन्होंने सेल्स पर्सन को फोन कर दिया और मिलने की योजना बनाने के लिए कहा।
अगली दिन, सेल्स पर्सन उनके साथ मार्केट में आया। वरुण सोच रहा था कि एक बार उसे सबसे अच्छा कमरा दिखना चाहिए तो बस निर्णय लेना होगा। दोनों ने एक कमरे को देखा और उन्होंने तुरंत निर्णय ले लिया कि यहीं पर वह कमरा ख़रीद कर रखेंगे। उन्होंने सेल्स पर्सन की मदद से कमरे की रंगत और नक्काशी के लिए कुछ विकल्पों को चयनित किया।
अगले दिन, वरुण तय किए गए खरीदारी के लिए मार्केट चले गए। वहां वह नए बिल्डिंग में एक बातचीत के लिए एक व्यक्ति से मिला था। उस शख़्स ने उसे अंदर बिल्डिंग के एक कमरे में ले जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया। वरुण उस स्थिति से जल्दबाजी से निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन दरवाज़ा बंद हो गया।
दो दिन बाद, जब कुछ भी नहीं हुआ, वरुण की आकांक्षा ने उसका संपर्क किया और उसे बताया कि वह अभी तक नहीं आया है। इस बात का उल्लेख करना चाहते हुए उसने उसे एक बार फिर बुलाया। इस बार उसने पुलिस से संपर्क किया ताकि उन्हें मदद मिल सके। दोनों के माता-पिता ने भी उनकी खोज में मदद की।
पुलिस तरफ से। जाँच करने के बाद, उन्होंने कमरे की जाँच की और जल्द ही उन्होंने वरुण के शव को खोजा जो कमरे के एक कोने में था। पुलिस को नहीं मालूम था कि यह कैसे हुआ था। उन्होंने आकांक्षा को सवालों का सामना करवाया और उसने उनसे अपनी बात पूछी।
आकांक्षा लिपट गई। उसने कभी नहीं सोचा था कि एक ऐसा दिन भी आएगा जब वह अपने होने वाले पति की मौत से मुकाबला कर पाएगी। वह कहना चाहती थी कि उसके पास उस दिन की अनुभूति नहीं थी। बस कुछ अजीब लग रहा था।
तब उसने याद दिलाया कि उसके दिन पिछले रात उसके मोबाइल फोन पर एक अज्ञात नंबर से फोन आया था। उसने पिक किए और कॉल रख दिया। फिर अगले दिन, वह एक और एक अनजान नंबर से कॉल पर आया था, इस बार भी उसने उससे बात नहीं की।
आकांक्षा के इन विवरणों से, पुलिस ने इस मामले को अधिक दृढ़ बनाने के लिए कुछ डेटा एनालिसिस और अन्य सीसीटीवी कैमरों की मदद से एक व्यक्ति के साथ जुड़े नक्सली गिरोह के गठजोड़ की पता चली।
पुलिस ने इस व्यक्ति की गिरफ्तारी की। उसके पास जांच में बताया गया कि एक संदिग्ध फोन, एक नक्सली लोगों के साथ एक एसकेएफ कर्मचारी के साथ एक संदिग्ध चलल उद्धार किए गए। संदिग्धता के सभी प्रकार के ज़रिये उसने यह साबित किया कि उसने उस अनजान नंबर से फोन किया था जिसने उसे निमंत्रण दिया था तथा भी जब वह उनके कमरे में था।
सभी संदिग्ध तत्वों के बाद, उसे सिद्ध हुआ कि गुमनाम कत्ल मामले में लोगों को जागरूक करना चाहिए। वे कभी नहीं जान पाएंगे कि किसी संदिग्ध व्यक्ति को अनजान नंबर से फोन करने से कैसे बचा जा सकता है।