चंदन का तोहफा
जया के घर के सामने एक छोटी सी बस्ती थी जहाँ ऊपर नीचे कुछ 8-10 उम्र के लड़के खेलते रहते थे। जया, इस छोटी सी थकने वाली डेढ़ साल की बच्ची के दिल में उससे ज्यादा आकर्षण वाली कोई चीज नहीं थी। वह बस्ती वाले बच्चों को देखकर हमेशा हंसती और उनसे बातें करती थी।
जया का जन्मदिन था और उसे उसके दोस्तों के साथ पार्टी में जाना था। उसने अपने माता-पिता से कुछ पैसे लिए थे ताकि वह अपनी पसंदीदा चीजों को खरीद सके। जया खूब खुश थी अपने जन्मदिन गिफ्ट के लिए।
बस्ती में जया के खुशी के बारे में सभी बच्चे जानते थे। एक छोटे से लड़के ने जया को देखते हुए कुछ पैसे लेकर बोला, “दीदी, आप खुश हो। मेरे पास थोड़ा सा पैसा है, क्या आपको लेने का में तोहफा दूं?”
जया का दिल हंसा और उसने उस छोटे से लड़के की जेब से पैसे निकाल लिए। लड़के खुश हो गये कि उसका तोहफा किसी को अच्छा लगा।
जया कुछ देर के बाद अपनी दोस्तों के साथ पार्टी में चली गई। वह अनेक चीजें खरीदना चाहती थी लेकिन उसके पास केवल कुछ पैसे ही थे।
फिर एक शोध के दौरान, जया चंदन समेत उस छोटे से लड़के के लिए दुकान पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा ले गई। वह उस लड़के की जेब में पैसों की फुर्ती करती हुई चंदन दी, जो उस लड़के के लिए सबसे भलीभांति गिफ्ट बन गया।
जया के लिए एकदम से एक बेहतरीन जन्मदिन कार्यक्रम था। उसकी खुशी का मुखौटा अब भी अंदर से खुशी की तरंगें से भरा हुआ था। उसे स्कूल जा कर अपने दोस्तों को अपनी नई समानें दिखाना होगा।
शाम होने लगी थी और चंदन भी बच्चों के खेल में शामिल था। वह जया को देखने के लिए भीड़ में चला गया। जया एक बॉल पकड़ने की कोशिश कर रही थी और चंदन भी उसकी तरफ दौड़ता दिखाई देता था। दोनों मिलने वाले थे।
चंदन एक तेज दौड़ में से गुजर रहा था। एक टायर उसके पैरों से टकरा गया और उसके पैर में एक चोट लग गई। वह जमीन पर निच्छल हो गया और आसपास के बच्चे उसे देखते हुए छोटी सी दुखभरी अवस्था में आ गए। जया भी उसे देखकर रोने लगी।
जया एक दूरस्थ दुकान में दौड़ती दिखाई दी जहाँ वह चंदन के लिए कोई दवाई खरीद सकती थी। वह अपने पैसे से चंदन के लिए उस दुकान से दवाई खरीदकर आई।
चंदन अभी भी दुखी था, लेकिन जब वह जया को दवाई देती हुई देखा तो उसका दिल एकदम खुशी से भर गया। उसे नहीं लगा था कि कोई उसे तपस्या दे सकता है।
बस्ती के अन्य बच्चों की तुलना में, चंदन जीने का पता चलाता है। जया के उत्साह ने उसे प्रेरित किया था और वह अब अपनी महेनत और प्रयासों में अधिक निष्ठावान होने लगा था।
जया ने चंदन को समर्थक बनाया, जो मन की शांति देने के लिए हक्काबई में भी शामिल हो गया था। अब प्रत्येक समय, जया बस्ती में आती थी तो उसने अपने अगले कदम के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।
समय बीतता गया और जया भलीभांति दंया में उतर गयी। लेकिन, वह बस्ती में उस छोटे से छोटे तोहफे के लिए दिल धड़कआती रहीं। वह जानती थी कि उसने एक बहुत बड़ी गारंटी में रिटर्न लिया है – उसने प्यार दिया और उसने प्यार पाया।
अंत में, चंदन का तोहफा अधूरा नहीं था। जया के द्वारा दी गई मूल्यांकन, प्रेरणा और समर्थन ने उसे “अगला चंदन” बनने के लिए प्रेरित किया था। ी।