Title: चोर की शक्ति
एक सुंदर शहर में एक चोर रहता था। उसका नाम राजू था। राजू नरम दिल का आदमी था, पर उसे गरीबी के कारण चोरी करने पर मजबूर हो जाता था। राजू को अच्छी शिक्षा नहीं मिल सकी थी और यह अस्पष्ट ज्ञान के कारण ही उसे बुरे कार्यों में दिलचस्पी पैदा होती थी।
एक रोज राजू शहर के सबसे अमीर आदमी, रामाधिर जी के घर पहुंचा। जब राजू ने रामाधिर जी के घर की सुरक्षा में कमी देखी, तो उसे आदमी के घर छिड़कने का मौका मिल गया। वह बिना देर किए रामाधिर जी के घर में घुस गया।
राजू की खुशी की कोई हद नहीं रही। वह तो दूसरे कमरे में घुसने के बाद उसकी बड़ी अचानक वीधि देखी। रामाधिर जी ने इक्किस के कोण का नंबर बेड पर रखा हुआ था और उसे किसी चीज का डकैत बना था।
राजू ने बिना सोचे समझे उसका ध्यान बंद कर दिया और उसे अपने बैग में डाल लिया। यही धारणा उसने सोची कि यह सब ढेर सामान छिपाने की जरूरत से रामाधिर जी द्वारा किसी खरीददार से मांगवाए गए हो सकता है।
रामाधिर जी ने अगले ही दिन अपना बेड देखा तो उन्हें बेहद हैरानी हुई। उन्होंने पुलिस को फोन करके हमला करने बाले अपराधी की रिपोर्ट दी। पुलिस की टीम की पहुंच लेने तक रामाधिर जी गहरी दुःख और तनाव में थे। वह सोच रहे थे कि उनका इतना सामान चोरी हुआ तोह उनका सुख कहीं नहीं गया है।
पुलिस अफसर अपनी जांच के बाद तरह तरह की बातें कर रहा था। सभी लोग चोरी के मामले की जांच में बिजी थे, लेकिन कोई भी उपयुक्त आदान-प्रदान नहीं कर पा रहा था। बचाव के लिए कुछ वक्त बिताने के बाद, एक आदमी ने अपने बगीचे की और इशारा किया।
राजू को इस आदमी के इशारे का कुछ समझ में आया। वह धीरे-धीरे इस यात्री की ओर चला गया। अचानक जब उसने दिशा बदला तो उन्हें उस चोर की सीने पर तेज घोंटू देखा। चोर गिरफ्तार कर लिए गए भागधौड़ के बावजूद उधूर्ता नहीं हुआ।
राजू बहुत हैरान था कि कैसे यह चोर पुलिस से बच जाता है। वह समझ नहीं सका कि चोर ने ऐसा कैसे किया। पुलिस अफसर ने उसे पकड़ने के बाद अपना दर्द बांटते हुए कहा कि इस चोरी का पलटवार वो चोरने वाला ही कर रहा था।
राजू को अचानक समझ में आया कि वह चोर मानवीय शक्ति का दोषी था, जिसके कारण पुलिस को उधूर्ता नहीं मिली। इस चेतना की वजह से, राजू देश में मानवीय शक्ति के द्वारा जो बदलाव चाह रहा था, उसे समझने लगा।
वाह की मदद से राजू का जिज्ञासा बढ़ा और उसने वाह की अद्भुत शक्तियों को देखा। राजू ने अपनी चोरी की गलती को स्वीकार किया और वाह जैसे धारण प्रणाली की शक्ति के बारे में बहुत समय बिताया।
राजू ने आखिरकार स्वयं को सुधारने का निर्णय लिया। वह अब ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहता था जो दूसरों को नुकसान पहुंचाए। उसने अपने तरीकों को बदल दिया और अपनी जिन्दगी के नये मंज़िल का मार्ग चुना।
राजू ने मेहनत करके और ईमानदारी बरताकर वाह के वरदानों का उपयोग करते हुए काफी अच्छाई बढ़ाई। उसकी आक्रामकता चोरी से प्यार में बदल गई। उसने ज़र से चोरी बंद कर दी और आत्मनिर्भर बनने और स्वयं को मजबूत बनाने का निर्णय लिया।
राजू के इस सुधार की ख़बर शहर में फैल गई और उसकी प्रशंसा हर जगह की गई। उसे लोगों की आदर और प्रेम मिलने लगा। अब राजू ने एक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत की थी, जहाँ ईमानदारी, सच्चाई, और मेहनत का महत्व था।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमेशा बुराई से दूर रहें और ईमानदार, कार्यशील और उदार होते रहें। चोरी तो एक दिन फ़ली जा सकती है, लेकिन सच्चाई और ईमानदारी अमर होती हैं। यह शक्ति ही हमारी वाजिब एहतियात और कठोर पहलू को परिवर्तित करती है।