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दिल उदास है मैं एक छोटे से गांव में रहता

Title: दिल उदास है

मैं एक छोटे से गांव में रहता हुआ एक आम व्यक्ति हूँ। मेरे साथ फैमिली में मेरी पत्नी, मेरे दो बच्चे और मैं रहते हैं। मेरी जिंदगी लगभग समय से निर्धारित है जब से मैंने अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।

लेकिन एक दिन एक बहुत बुरा सपना देखा। मैं उस दिन से बहुत उदास हो गया था। मेरे दिल में कुछ गुस्साई होने लगी थी जिससे मैं अपने चहेतों को फोटकर साक्षात्कार कर देने लगा।

फिर उसी दिन मेरे साथ एक सड़क दुर्घटना हो गई, जिससे मैं कुछ समय से बीमार था। मैंने सोचा कि मुझे इस मुश्किल से निकलना अभी भी संभव है। मैं नाकाम हो गया था। मेरी पत्नी ने मुझे तरह-तरह से उत्तेजित करना शुरू किया था। उन्होंने मुझे समझाया कि हमें यात्रा करनी होगी, हमें चंद सप्ताह के लिए हमारा होटल बुक करना होगा और फिर हमें अपने आप पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

मैंने अपनी पत्नी की बात सुनी और मेरे दिल में से वो सभी सोच और लिपट गये जो मुझे पहले सपने में आ रहे थे। मैं अपने बेजान शरीर को और अधिक परेशान समझता गया था और तुरंत ही अपनी इच्छाओं पर ध्यान केंद्रित करने लगा।

हमारी यात्रा शुरू हो गई और हमारा होटल तक पहुंचते ही मैं फिर से वो दिल का उदास पन महसूस करने लगा। फिर एक भाग्यशाली पूर्वाग्रही मेरे कदमों की ओर आगे बढ़ा और एक बच्चा मेरे पास पहुँच गया।

बच्चा मुझे सहायता की डिमांड करते हुए कह रहा था कि वो परिवारों की मदद करने के लिए यहां आया है। मैं एक बच्चे को देखकर स्वयं को उलझा हुआ महसूस करने लगा था और मुझे साफ था कि आज मैंने अपनी यात्रा के बदले में कुछ नहीं मिला।

मुझे बच्चों की एक Muskaan वाली फोटो दिखाई दी और मैंने फिर से वो संदेश प्राप्त कर लिया था जो मुझे उस सपने में मिला था। बच्चों ने मुझे सहज ही एक आलसी आदमी में से बनाया।

ये सब बातें मेरे मन में डूबते रहे और मैं जब भी समय पाता था तो मेरे अंदर से एक नए जीवन के लिए संकेत आते हुए थे। फिर एक टिकट डेस्क पर जाकर हमें एक टिकट मिल गया। उस दिन से मेरे जीवन का एक नया चरित्र लिखने का समय कदम बदल गया। फिर महज दो दिनों में मेरे जीवन के बड़े बदलाव के लिए सुझाव जुटाने शुरू किए गए।

मैंने अपनी यात्रा के नतीजे में बच्चों को सजीव करने का फैसला किया और मैंने आज से एक स्कूल और शालिन फाउंडेशन की स्थापना की। फिर मैंने कई दिनों तक अपनी विस्तृत सीढ़ियों को ठोस करने के लिए काम किया और नए संयोजनों की तलाश की।

एक बच्चे को देखकर मेरे जीवन का पुर्वाग्रह जागृत हुआ था और भविष्य में एक नया मकसद लेकर अभियान शुरू करने से पहले हमेशा ईश्वर से अपनी राह सुनिश्चित करता हुँ।

कागा जी

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