Title: पत्थर की मूर्ति
कृष्णा के परिवार में पिताजी एक अभिलेखीय शिल्पकार थे। उन्होंने समाज के लिए कई ताल्लुक कार्य किये। उन्होंने सभी लोगों की मदद की, चाहे वो अमीर हो या गरीब। वे एक अदम्य सामर्थ्य वाले व्यक्ति थे जिन्होंने कहीं भी कोई मुश्किल में पड़ा हो, उसमें समझौता नहीं करते थे। इसलिए उन्हें समाज से बहुत प्रेम मिलता था।
उनका बेटा राम बहुत खुशनुमा व उत्सुक था। वो अपने पिता के स्मरण में समुद्र के साथ घूमने का पूरा खुलासा करता था। उनके माता-पिता हमेशा उन्हें उचित दिशा देते थे। उनको बहिर्गमन, विवेकपूर्ण तथा आध्यात्मिकता के साथ शिक्षा देते थे।
एक दिन राम रंगमंच पर कॉमेडी नाटक देखने का उत्सुक था। उसमें जोक्स बहुत हंसाने वाले थे। नाटक समाप्त होने के बाद, वो घर वापस गया तथा सभी जोक्स अपने मन में बैठे थे।
अगले दिन राम अपने दोस्त से मिलने गया। दोनों मिलने और हंसने के लिए तैयार थे। दोस्त ने उसे कुछ पत्थरों से भरा बैग दिया और असामान्य चीजों के बारे में बात की। राम उस बैग के साथ अपने घर लौटा।
गृह मंत्री सब को ख़ुश रखने के लिए धूप में आये। लेकिन राम ने दुनिया में आनेवाली सभी चीजों को देखा। वह बहुत सोचता था। वह उस बैग की ओर देखता हुआ बैठा, और एक टोपी पहनता हुआ खड़ा था। वह उस बैग को खोला और उसी के रूप में कुछ जोक्स निकले।
राम का पिता तुरंत बुलाया गया था। वह बैग देखते ही हैरत में पड़ गए। उन्होंने बैग खोला, और कुछ पत्थर निकले। राम का पिता उन्हें देखते ही वह भी हैरत में पड़ गए। उन्होंने राम को कानूनी सलाह देने के लिए तैयार करना शुरू कर दिया। वह समझते थे कि अगले दिन राम का जीवन सबसे ख़राब हो जायेगा।
लेकिन राम का मन एक दिशा में लगा हुआ था। वह नहीं जानता था कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसे जानने की जरूरत नहीं होती थी। वो बस अपने पिता की सलाह का पालन करता गया।
उस रात, राम ने बैग ले जाकर उसे अपने कमरे में खोला। उसमें एक पत्थर मिला। वह पत्थर बहुत ही अद्भुत लगा। उस पत्थर में वह सभी चीजें देखता हुआ था, जो वह बैग में देखा था। उस पत्थर की मूर्ति के साथ वह बचपन से समझौता करता आया था।
पत्थर का अद्भुत रूप उसे याद दिलाता था कि हमें जीवन में समझौता नहीं करना चाहिए। अगर आप किसी के साथ कुछ बदलाव करना चाहते हैं, तो आपको पहले उसे समझना होगा। एक बात ध्यान रखें, कि समझौता केवल असफलता की तरफ ले जाता है।
राम जब अगले दिन न्यायालय में गया तो उसने देखा कि लोग उसकी मदद के लिए आए हैं। उसे समझ में आया कि लोग उसे जानते हैं और कैसे मदद करना चाहते हैं। वह दुनिया के सबसे खुशनुमा लोगों में से एक हो गया। वह जीवन में जो भी हो रहा था उसे स्वीकार करना शुरू कर चुका था।
राम ने सबबक ख़ुशी के साथ अपने पिता को बताया। उन्होंने उसे दिखाया कि उस पत्थर की मूर्ति अद्भुत है। वह उस दिन से उस पत्थर की अनमोल मूर्ति का पूजन करते हैं। उसी दिन से उनके घर में हमेशा खुशी रहती है।
सभी उनका सम्मान करते हैं और उनसे सलाह लेते हैं। उनका समाज से प्रेम दृष्टिकोण और उन्हें समझने के तरीके का एक योगदान उनकी पत्थर की मूर्ति है।
पत्थर की मूर्ति हमें एक अद्भुत संदेश देती है – कि हम समझौता नहीं कर सकते। अगर हम किसी चीज से समझौता करेंगे तो हमें दुखी होना पड़ेगा। जिस तरह से पत्थर की मूर्ति राम को जीवन की सही दिशा दिखाई, वह हमें भी जीवन में सफल होने के लिए दिशा दिखा सकती है।