फिर होगी उसकी बारात
एक छोटे से गांव में रहने वाली मालीका अपनी बेटी के लिए दुनिया की सबसे बड़ी दौलत मानती थी। उसकी बेटी अध्यापिका बनने का सपना देखती थी और मालीका उसे पूरा करने में जुटी रहती थी।
एक दिन उसकी बेटी एक शिक्षक से मिली। उसके स्कूल में कुछ दिनों से शादी का महौल था और वो उसके ताज-सामान का दिलचस्प हिस्सा समझता था।
बेटी और शिक्षक का प्रेम फलस्वरूप एक दिन उनका विवाह तय हुआ। मालीका बेटी को लाखों होंठों की मुस्कान देते हुए दुल्हन का झोला समेटते हुए धन्य होती थी।
शादी के दिन होलीके तख्तों की धुन में उनकी बारात गुड़गांव पहुंची। शादी का दौर शुरू हुआ और बारात दुल्हन के घर पहुंच गई।
शादी के दौर में शहर के सभी लोगों ने आकर्षित होकर नज़र फेरी। इस समय शेहनाई-डोल की मधुर धुन के बीच मुखौटा पहने वाले एक शख्स ने किसी से पूछा कि कौन सी बारात है?
उसके सामने बड़ी से बड़ी बारात आ रही थी और शादी का महौल जान में आ गया था। उससे अफसोस करते हुए उसने कहा – “ये तो कुछ नहीं है, फिर होगी उसकी बारात।”
मालीका ने उस लड़के के बात से काफी दुखी महसूस किया। वो उसके दिल के अंदर के सभी रोगों को समझती थी और उसमें से एक रोग डॉक्टर की कमी थी।
उन दिनों में डॉक्टर की कमी थी और बहुत सी महिलाएं शादी में अपने बेटे के साथ जाने के बजाय उन्हें डॉक्टर के बादल की तरह भड़कते थे। उन्हें पता था कि शादी में यदि कुछ देरी हो जाए और कोई एक्सीडेंट घट जाए तो डॉक्टर की भीड़ नहीं मिल पाएगी।
मालीका ने अपने मन से तब तक ये बात नहीं सुनी थी, जब तक अपनी बेटी की शादी नहीं हुई थी। उस दिन वह अपनी माँ से कुछ पैसे ले कर डॉक्टर के पते पर पहुंच गई थी।
डॉक्टर के घर पहुँचते ही उसने डॉक्टर से बात की और डॉक्टर ने उसको ये समझाया कि यदि आप इस प्रोब्लम को अंजाम नहीं देंगे तो न जाने कितनी महिलाओं और बच्चों का जीवन बचाया जा सकता है।
डॉक्टर की ये बिंदुओं ने मालीका के हृदय में बदलाव लाया और वह उसी समय डॉक्टर और अपनी बेटी के द्वारा प्रतिबंधित कुछ लड़कियों को देखती हुई खुश हो गई।
यह सब शादी के दौर में था जो शुरू हो चुका था। मालीका ने डॉक्टर से बात करते हुए एक से बढ़कर एक समस्याओं को सुलझाया था।
सबसे बड़ी समस्या थी डॉक्टर की कमी और इसीलिए वो अनेक लोगों को नहीं डेख पाए थे। मालीका ने इस समस्या को सुलझाने का एक नया तरीका ढूंढ निकाला था।
उड़ते हुए समय, जब डॉक्टर और मालीका लंबे समय तक समस्याओं पर बातचीत कर रहे थे, शादी समाप्त हो गयी थी।
मालिका ने सीने को बहलाते हुए उस वाक्य को जोर जोर से बोला – “डॉक्टर महोदय, फिर होगी उसकी बारात”। उनकी जिंदगी की नयी धुन उन्होंने खुद ही बजा दी थी।
फिर होगी उसकी बारात, जो कोई नहीं बढ़ाएगा-बजाएगा। फिर होगी उसकी बारात, जो किसी की सौगात नहीं होगी। फिर होगी उसकी बारात, जो कोई नहीं बरात लाएगा। फिर होगी उसकी बारात, जो कोई नहीं विदा करेगा।
मालीका अपनी बेटी के नये जीवन की शुरुआत को खुशी से उजाड़कर वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी अगले दिन से समस्याओं से दूर हो जाएगी।
फिर होगी उसकी बारात, जो हमेशा कुशलता से बढ़ती रहेगी। एक ऐसी शादी जिसमें प्रत्येक योग्य व्यक्ति शामिल हो सकते हैं। मालीका अपनी संदेह पूर्ण जिंदगी के बावजूद हर मशहूर शादी के लिए आवाज उठाती रही।