Title: बचपन की आखिरी दुपहरी
एक छोटे से गांव में रूहानी नाम का एक बच्चा रहता था। वह बचपन के सभी मस्त और खुशी के पलों का सबसे मजेदार हिस्सा था। वह सेंटर स्कूल में स्टूडेंट था। वह अपने दोस्तों के साथ परिसर में खेलता और मस्ती करता था।
पर कुछ दिनों से वह मुरझा हुआ सा नज़र आ रहा था। उसकी माँ ने इस बारे में स्कूल के अध्यापक से सलाह ली। अध्यापक ने बताया कि उसे एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास ले जाया जाना चाहिए।
रूहानी की मां ने उसे डॉक्टर के पास ले जाने के लिए तुरंत कुछ किए। नतीजे में बताया कि रूहानी को एक बड़ी बीमारी हो गयी है। वह उसके बॉन्स में एक समस्या के कारण अपनी नयी ऊंचाई तक नहीं बढ़ सकता था।
रूहानी ने बताया कि उसे बार-बार टोटल नंबर 6 तक ही याद रहते हैं। उसके मन में एकाएक से कई सवाल उठने लगे जैसे कि वह कीस लिए नहीं घूम सकता था, क्योंकि वह अपनी नयी ऊंचाई तक नहीं बढ़ सकता था?
रूहानी की मां ने उसे बताया कि ये समस्या उसके जन्म से ही हैं और ये वह 6 साल से जीवित है। लेकिन अब उसे स्कूल छोड़ देना पड़ेगा क्योंकि उसे अब और टेंशन नहीं दी जायेगी।
वह उस दिन से स्कूल नहीं गया। उसके दोस्तों ने उसे अकेला नहीं छोड़ा और वह उन्हें दूर से कुछ कहता रहता था। उनकी बात का उसने कभी ध्यान नहीं दिया था। उसे लगता था कि उनसे बात करने से उन्हें भेदभाव हो जाएगा और वह उनसे दूर हो जाएगा।
कुछ ही दिनों में रूहानी को दुखी और चिंताग्रस्त हो जाना था। उसे बस अपनी पसन्द की किताबें पढ़ना ही था। वह अपने घर के पास की खेत में जाकर बैठता था। वह यह सोचता था कि उसको अपनी मशहूरियत मिलेगी और उसे अफसर बनना ही होगा।
रूहानी की मां ने बात चुटकुलों और कहानियों द्वारा बचाये जाने की कोशिशें कीं लेकिन वह कुछ नहीं कर पायीं। वह उसके गम को समझती थी और उसे उनके समझने के लिये समय देने की कोशिश करती थी।
एक दिन उसकी मां ने उसे बताया कि उसने अपनी आखिरी दोस्त से मिलने के लिए बुलाया है। वह बहुत खुश हुआ। वह अपनी आखिरी दोपहर को अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए बिताना चाहता था।
उस दिन वह अपनी दोस्तों को भूलकर मस्ती और खुशी से भरी अपनी आखिरी दोपहर का आनंद लेने के लिए बाहर निकल गया। वह दोपहर के बाद वापिस आना भूल गया।
उसके परिवार उसे खोज रहे थे लेकिन वह अभी तक वापिस नहीं आया था। रात के 9 बजे उसे एक ढेर सैकड़ों लोगों के साथ घेरा हुआ मिला। वह अपनी नई ऊंचाई तक बढ़ गया था। उसके दोस्त और परिवार ने उससे माफी माँगने की कोशिश की, लेकिन वह उन्हें माफ नहीं कर सका।
रूहानी को यह समझना था कि उसने अपनी आखिरी दोपहर का खुशी गंवा दिया था। वह उस दिन के लिए खुद को माफ कर नहीं सकता था। इससे वह सभी को संजीदा समझने लगा था।
उसे यह भी समझ में आया कि उसने अपने दोस्तों के साथ बेज़्जती की और इससे उनके दोस्ती को टूटकर उनको भावुक और वह एक सामान्य इंसान की तरह जीने की कोशिश करेंगे।
रूहानी की उम्र अब एक संजीदा छात्र की तरह चल रही है। वह अपने घर के पास की खेत में जाकर अकेले होकर अपनी सोच के साथ अपना समय बिताता है। भावुकता और संजीदगी उसके चेहरे पर अब सबके लोग देखते हैं।
उसने अपने दोस्तों को वापिस नहीं बुलाया लेकिन यह उसके मन में ख्याल था कि वह उनके पुनरुत्थान के लिए उनके पास जरूर वापिस आएगा।