Title: राजा और उसके चार बेटे
दिन पर दिन राजा और उसके चार बेटों के बीच का फसल में शुरू हुआ कहा जा रहा था। राजा अपने बेटों को फसल की देखभाल करने के लिए नियमित रूप से भिजवाता था। लेकिन उन बेटों का कोई ध्यान नहीं रहता था। वे हमेशा खेल खेलते रहते थे और परेशान होते थे कि उन्हें काम करना पड़ रहा है।
एक दिन राजा अपने चारों बेटों को बुलाकर कहता है, “तुम्हारों ने किसी भी फसल की देखभाल नहीं की है। मैं ऊँचा महल में रहता हूँ और मेरा काम तुम लोगों के हाथ में है। तुम सभी को एक सप्ताह का समय मिलेगा और उस समय तक अपनी फसल की देखभाल करनी होगी। अगले हफ्ते, मैं तुम्हें अपनी फसल की हालत पर प्रश्न पूछूंगा। यदि तुम्हारी फसल अच्छी है तो तुम्हें मेरी तारीफ मिलेगी और यदि तुम्हारी फसल बुरी है तो सजा मिलेगी।”
चार बेटे अब समझ गए थे कि उन्हें राजा के कहने का ख्याल रखना होगा। पहले दिन से ही वे फसल की देखभाल करने लगे। दो बेटे बोतल में पानी लेने लगे ताकि उन्हें धीमी आग से जलाना शुरू कर सकें। दूसरे दो बेटों ने खेत में खुदाई करना शुरू कर दी थी।
एक हफ्ते बाद राजा वापस आए और उन्होंने अपने बेटों से उनकी फसल की हालत पूछी। पहले दो बेटों ने अपने पानी भरे हुए बोतल दिखाई और दूसरे दो बेटों ने देश के सबसे स्वस्थ अनाज अनाज की होली दिखाई।
राजा सबसे पहले उन बेटों के पास गया जो पानी हवा से जलाने के लिए लेते थे। राजा को अच्छी तरह से लगा कि उन्होंने इसे बोतल में डाला है। फिर राजा दूसरी दोनों बेटों के पास गए और उन्हें पूछा कि उन्हें कैसे पता चला कि उनका अनाज इतनी अच्छी तरह से बढ़ता है।
दूसरे दोनों बेटों ने उन्हें बताया कि वे खेत में जमीन की उपयोगिता की जाँच करते थे, उन्होंने मुलायम मिट्टी में जल अवशोषण बढ़ाने के लिए उर्वरक का उपयोग किया था, जिससे वे एक स्वस्थ फसल प्राप्त कर पाए।
राजा थोड़ी खुश नहीं थे क्योंकि उनका एक बेटा ने अपनी फसल की देखभाल नहीं की थी। उन्हें पूछना बचा था कि लेकिन राजा ने वंशवाद को तोड़ने का नहीं सोचा।
यह घटना बाद में उदाहरण और निश्चित उत्तरदायित्व के साथ संबंधों होने का कारण बनी। यह ज्ञान राजा के साथ उसके संतानों को सीख दी कि किसी भी उपयोग में आने वाले सदस्य के ऊपर आवाज को सुने।