वर्षा की बौछार में
रोहित अपनी नयी दुकान खोलने की तैयारी कर रहा था। उन्होंने सोचा था कि उनकी दुकान एक वस्तु की दुकान होंगी जहाँ लोग स्टेशनरी आदि वस्तुओं को खरीदेंगे। रोहित ने कुछ विज्ञापनों को देखा था जो उन्हें पर्चों पर लिखे गए थे।
पढ़ने के बाद उन्हें लगा कि वे भी उन्हीं विज्ञापनों को अपनी दुकान के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने एक विज्ञापन तैयार किया जिसमें “वर्षा की बौछार में स्टेशनरी पर सबसे अधिक छूट” लिखा गया था।
रोहित को विज्ञापन लेकर ज़्यादा दिन नहीं हुज़्जार हो गए थे जब उन्होंने अपनी दुकान खोली थी। वे उस समय आस-पास में वालों को थोड़ी नज़र से देखते थे जो उन्हें देख रहे थे। दुकान बंद होने के बाद उन्होंने बहुत सुख और मानसिक तैयारी की थी।
एक दिन अचानक बारिश शुरू हो गई। रोहित को नहीं था पता कि वह बिना बरसात के फिर से जान पायेंगे या नहीं। थोड़ी ही देर में मौसम ने और बदला और सबसे खतरनाक बात थी कि बरसात बढ़ गई थी। रोहित ने अपनी दुकान बंद कर दी थी और घर जाने की कोशिश कर रहे थे।
लेकिन उन्होंने जल्दी ही महसूस किया कि बारिश के बावजूद उन्हें घर नहीं पहुंच सकते क्योंकि जल भरा हुआ था। उन्होंने सोचा कि वह अपनी दुकान में ही बिताएंगे रात का समय। वे अपने दुकान के बाहर एक पालतू शराबी का सामना करें।
शराबी ने अपनी बोतल उठाई और बोला, “यहाँ रुको, भाई। तुम एक दुकानदार हो ना? मैं आपके बारे में कुछ बात करना चाहता हूं।”
रोहित मुस्कुराते हुए बोले, “हां, अवश्य। आप बोलिए कैसे मदद कर सकते हैं?”
शराबी बोला, “भाई, मैं तुम्हें एक सलाह देना चाहता हूं। बारिश आजादी जुलूस के कारण हा से गए और मुझसे पता चला है कि उनका लोगों को कुछ मांग करने के लिए आता है। तुम दुकान खोल कर मेहमान को अपनी दुकान में रख सकते हो। फिर वह लोग नीचे आएंगे और उन्हें प्रदर्शन करेंगे।”
रोहित बहुत खुश था कि उन्हें इस मामले में मदद मिल रही थी। उन्होंने शराबी का धन्यवाद किया और फिर अपनी दुकान खोल दी। वहाँ पहुंचने वाले लोगों की संख्या कुछ ही देर में तीन नंबर तक बढ़ गई थी।
रोहित जल्दी से अपने शीषे के सभी आइटम निकालने और उन्हें दुकान के पीछे ले जाने के बाद अपनी दुकान को नीलामी लगाने लगे। हर कोई उनके साथ खुश था और उन्हें अभिवादन दे रहे थे।
एक बार जब लोगों ने सब कुछ खरीद लिया था, उन्होंने शराबी को फोन किया और उन्हें यह बताया कि उन्हें उसकी मदद की ज़रूरत नहीं होगी।
रोहित और शराबी को एक दूसरे से मिलने का मौका मिला, और गर्मी में ठंडी बारिश का आनंद लेते हुए वे स्थानीय खेतों के बीच समय बिता रहे थे। कुछ ही देर बाद रोहित ने शराबी को अपनी दुकान का पता बताया जहाँ वह अपनी नयी स्टेशनरी दुकान खोलने जा रहा है। उन्होंने दूसरे दिन उस जगह पर पहुंचा और अपने नयी दुकान का दृश्य देखा।
दुकान के साथ-साथ रोहित की नयी मुहिम भी प्रारंभ हो चुकी थी जो कि अपनी दुकान की वस्तुओं को ब्रांड से बदलने के लिए उलझे हुए थे। अगले साल रोहित की दुकान सबसे बढ़िया दुकान बन गई थी।
उन्होंने ग्राहकों की बारिश को हर दिन अपने दुकान से लगातार प्रतिक्रिया करने के लिए भी शुरू कर दी थी। रोहित को मालूम था कि उन्हें अपनी दुकान में खड़ा होने के लिए आपातकाल के साथ सामना करना पड़ता है।
इसलिए, हालांकि रोहित को मालूम नहीं था कि उन्हें कैसे अपनी दुकान से बाहर निकलना होगा, उन्होंने उन तरीकों का चयन किया जो सबसे ज्यादा सुरक्षित थे।
ताकि उन्हें अपने सोच को मन की शांति और स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिल सके। अब, कभी-कभी उन्हें उनकी दुकान को ठीक होने में कुछ समय लग जाता है, लेकिन वह हमेशा बदलाव करना जारी रखता है ताकि वे अपने ग्राहकों को सबसे बढ़िया जीवन का निर्माण कर सकें।