Title: अकेले सफ़र
विक्रम ने अपनी स्मार्टफोन का एक झलक लिया और देर से सांस लेते हुए फिर ढलानों की ओर दौड़ने लगा। संतुलित लगते हुए उसके पाँव ठोस पत्थरों से टकराते हुए जमीन पर आते थे। अभी तक उसकी यात्रा का सबकुछ ठीक था। रात की ठंड की वजह से, उसने अपने जैकेट का बटन बांध लिया और जल्द ही उसे पसीना चढ़ने लगा।
विक्रम अब तक कभी चढ़ाई नहीं करता था, लेकिन जब उसने अचानक पहिये पर सौंप दिया तो वह उसे ग्रहण कर लेने के लिए धीरे से अपने कपड़ों को समेटने लगा। उसे पहिए का ललच महसूस होने लगा था। उसने इसे सोचते हुए इंकार कर दिया कि यह उसे एक मुश्किल में डाल सकता है।
उसे सुबह तक पहुँचना था और उसके साथ कुछ गलत नहीं होना चाहिए। फिर उसने सोचा कि उसे इसका गर्व होना चाहिए। यह है तो उनके स्वप्नों का सच है। अपनी तैयारियों के बाद, विक्रम अपने सवारी पर बैठ गया और उसे एक बार फिर हिलने से रोकने के लिए तैयार था।
कुछ घंटे गुजर गए थे जब एक झूठ मिल गया। उसने अपने हाथों में से एक नोट निकाल दिया था, जो उसे अर्ध- स्पष्ट लग रहा था। कुछ इस प्रकार था:
“यहाँ आकर काफी ढेर सारे लोग पैसे गंवाते हैं। अपने पेसों का कंधा पर रखें।”
विक्रम ने अपनी एक खिसकी दीवार के पास खड़ी एक एकल औरत को देखा, जो उसे झेलती हुई दिख रही थी। वह साफ नहीं थी, जो विक्रम के हाथों में थे। वह थोड़े से घबराया था, लेकिन उसने उसके वर्णों का सही अर्थ जाने से रोकने का प्रयत्न नहीं किया। उसे बताने के लिए उसे थोड़ा असहज व्यवहार दिखाने की जरूरत थी ताकि वह उससे अधिक स्पष्ट जान सकती है।
“क्या आप उनके बारे में बता सकती हैं?” विक्रम ने पूछा।
लड़की ने एक इशारे से समझाया कि उसे पैसों की आवश्यकता नहीं होती है। उसे इसे समझने में कोई दिक्कत नहीं थी, और उस भावना ने उसे उसे कुछ हद तक शांत रखा था। फिर वह बताने लगी, “वो नजर नहीं आ रहे हैं।”
विक्रम उसके नजदीक जाकर उसे बेचैनी से देखने लगा। सब मौके कभी भी खतरे को दलदल में ढकेल सकते हैं। वह लड़की, जिसने उसे बताने से इंकार कर दिया था, अब अपने पैसे पैदा करने के लिए उसे नजरअंदाज कर रही थी।
विक्रम ने उसे संतुलित रखने के लिए बहुत सोचा और फिर उसने तय किया कि उसे लड़की की सर्वश्रेष्ठ रक्षा करनी होगी। वह उसे कभी फिर से नहीं देख पाया था, लेकिन उसने उसे भगदड़ में देखा था।
वह खुश नहीं था जब उसे अपने परिवार से अलग रहने का पता चला, लेकिन उसने अपने विचार इतने संतुलित किए कि उसे संतोष रखने में कोई समस्या नहीं थी। वह उसकी बात बखूबी समझ सकता था, क्योंकि उसे भी अपने परिवार से अलग रहने की इच्छा हुई थी। जैसे ही उसने इसे एक स्कूटर खरीद लिया था, एक नया सपना था।
मगर फिर उसे उस अनुभव की अगवा हुई जब वह यात्रा पर गया था। सब सामान खत्म हो जाने के बाद, वह एक स्थान ढूंढने के लिए उत्सुक था। लेकिन वह जल्द ही खाली हाथ रह गया। उसे अकेलापन महसूस होने लगा था।
उस रात, जब उसने पता चला कि उसका समान गुम हो गया है, उसने अपने हाथ पास बाजू में लड़खड़ाते हुए बेलन लकड़ी से लिया। वह ऑफिस लॉकर में अपने थोड़े से बचत के साथ ही था। उसने फिर एक साँझ को सोचा कि उसके साथ कुछ गलत नहीं होना चाहिए।
उसने जल्द अपने समान की जांच की और इस बात की जांच की कि उसका सामान और उसी स्थान पर है या नहीं। फिर उसने बस से जाकर एक दुकान में स्वदेशी चीजों की खरीददारी की। उसने यह सोचते हुए खरीद लिया कि यह एक अच्छी उपाय था जो उसे संतुलित रखता।
उसकी लालच और उसके खरचेकों के साथ उसकी मुसीबत गहराती गई थी, लेकिन वह संतुलित रहता हुआ चला जा रहा था। वह जल्द ही फिर से अपने विचारों में इतना दबाव महसूस करने लगा कि वह अपना शीष क्या और कैसे करना चाहता है।
हालांकि उसे उस विषय पर विचार करते हुए मान लेना था कि संतुलित होना कोई आसान काम नहीं होगा। यह एक क्रांतिकारी प्रकृति का ढोंग है। लेकिन उसकी संतुलनशीलता ने उसे जीवन के हर मोड़ पर सफलता प्राप्त करने की भी क्षमता दी।