Title: एक अमूल्य उपहार की कहानी
एक समय की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जो अपने बेटे की सहायता से जीवन जीती थी। वह अपने जीवन में कभी कोई बड़ा काम नहीं कर पाई, लेकिन उसने हमेशा उस दिन का इन्तजार किया जब वह अपने बेटे को एक अमूल्य उपहार दे सके।
उसके बेटे की मदद से, वह पहले उद्योग में जाकर कई रोटियां सेल करती थीं और फिर बाद में वह पैसे एकत्रित करती थीं। इस प्रक्रिया को करते हुए तीन साल बीत गए और उसने अपने बेटे की उम्र तक पहुंच गई। उसे आशा थी कि उसे अंत में उन्हें अमूल्य उपहार देने का मौका मिलेगा।
आखिरकार, एक दिन उसे वो मौका आ गया जो वह कभी इंतजार कर रही थी। उसका बेटा उस समय सैकड़ों डॉलर कमाता था और वह उसके साथ एक भारतीय देश में घुमने चला गया।
थी अमूल्य उपहार का मामला। बुढ़िया धन्य हुई क्योंकि ताकि उसके बेटे के वापस आने के बाद उसे उसे वो उपहार देने का मौका मिले जो वह इंतजार कर रही थी।
बुढ़िया ने सोचा, “मैं उसे क्या उपहार दूँ?” उसके पास कुछ विचित्र विचार थे, लेकिन उसका एक ही जवाब था, “मैं तो सिर्फ अपने बेटे से मिलने जा रही हूँ तो फिर कोई भी उपहार दूंगी तो मुझे लगेगा कि वह उसके लायक नहीं है।”
बुढ़िया ने फिर सोचा कि वह किसी उपहार की तलाश करने के बजाय अपने बेटे को अपने बेटे बनने में मदद कर सकती हैं। वह उस देश में दुकान खोल सकती थी और अपने बेटे की मदद कर सकती थी। अपनी कमजोर अवस्था के बावजूद, उसने अपनी सभी बचतों में से पैसे में से चुनौती दी।
इस प्रकार, बुढ़िया की आर्थिक स्थिति में उछाल आई और उसने अपने बेटे की मदद करने के लिए उसकी ड्रीम पूरी करने में मदद करने वाला नेतृत्व किया। वह टूट-फूट गई थी, लेकिन वह जारी रखी, उसका धन समाप्त हो चुका था, लेकिन उसका परिश्रम मजबूत था।
बुढ़िया की कहानी उसे पूरी तरह से एक अन्य प्रकार से अमूल्य उपहार था जो उसने अपने बेटे को दिया। इससे उसने अपने बेटे की जिंदगी में एक नई पल जोड़ी। वह अपने बेटे के साथ खुश और अपने जीवन के नए अध्याय में धोखाधड़ी को जीतने में सक्षम बन गई।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि जीवन में कुछ लोग अमूल्य उपहार की ओर दौड़ते हैं, लेकिन दूसरों के लिए वे जो कुछ भी हैं, उन्हें उसका मूल्य जानने के लिए जाने दें\
Translation:
Title: The Story of a Precious Gift
Once upon a time, there was an old woman who lived in a village and survived with the help of her son. She never achieved anything big in her life but always waited for the day when she could give her son a precious gift.
With the help of her son, she used to go to a factory and sell many rotis, and then she would collect the money. Three years passed doing this process, and she reached the age of her son. She hoped that in the end, she would get a chance to give him that precious gift.
Finally, the day came when she had been waiting for. Her son was earning hundreds of dollars at that time, and went to visit an Indian country with him.
Now was the case of an invaluable gift. The old woman was happy because she thought that after his son comes back, she will get the chance to give him that gift she was waiting for.
The old woman thought, “What should I give him as a gift?” She had some bizarre ideas, but she could finalise only one answer, “I’m just going to meet my son, so if I give him any gift, it will appear to me that he is unworthy of it.
The old woman then thought that rather than searching for a gift, she could try to help her son become her son. She could set up a shop in that country and help her son. Despite her weak condition, she chose to give all her savings.
In this way, the financial condition of the old woman boosted, and she had shown leadership in helping her son achieve his dream. She was broken, but she continued, her money had run out but her hard work was stronger.
The old woman’s story was a priceless gift in itself, which she gave to her son. It added a new moment to his son’s life. She was happy with her son and was capable of winning deception in her new chapter of life.
From this story, we learn that in life, some people run towards precious gifts, but they let them know the value of it.