Title: एक छोटी सी भूल
दीपेश नाम का लड़का अपने माँ-बाबा के साथ एक महीने के लिए शहर से दूर अपनी दादी के घर पर रह रहा था। दादी के घर पर उसे अपनी मां की तुलना में अधिक स्वतंत्रता मिलती थी जिससे वह बहुत खुश था। उसे अपनी पसंद के फलदार पेड़ों, बच्चों के खेल और रसोई में मिलने वाली खाने की खुशबू बहुत पसंद थी।
एक रोज दीपेश को उसकी दादी ने सीखाया कि वह सब्जियों को धोता कैसे है। दीपेश ने धोना शुरू कर दिया और कुछ समय बाद उसे लगा कि वह सब्जियों को अच्छी तरह से बारीकी से धो चुका है। उसे बड़ी खुशी हुई कि उसने अपनी दादी की मदद की बिना ही हर काम करना सीख गया है।
धोने के बाद उसने वह सब्जियां रसोई में अपनी दादी के साथ रख दी। रात को सभी खुश थे जब वे सब्जियों से भरी हुई सब्जी करी खा रहे थे। दीपेश बिना किसी मदद के सब्जियों को फलती फुलती थाली पर लेकर धीमी आग में पकाते हुए हंस रहा था।
अगली सुबह, उसका पेट दर्द करने लगा। दीपेश का दर्द धीरे-धीरे बढ़ता गया जिससे वह उफ़ तक की आवाज भी नहीं निकाल पा रहा था। उसका स्थानीय डॉक्टर आता है और उसे एक आंत में खुराक देने का नुस्खा देता है। स्वस्थ बचने के बाद, दीपेश अपनी दादी से ज़िद में शुरू कर देता है कि उसने जितनी सब्जियों को धोते देखा था, उससे कुछ गलती हो गई थी।
उसे मालूम नहीं था कि धोते समय सब्जियों को अच्छी तरह से मिलाता हुआ, उसे कच्चे खाने पर सुलभ तरीके से पात्रों का इस्तेमाल करते हुए धोना चाहिए। उसने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायी थी और इसलिए उसे बुरा लग रहा था।
दीपेश को इस समस्या का समाधान नहीं पता था जबकि उसकी दादी ने इसे समझाया कि इसे सहना और उससे सीखना एक जरूरी पाठ होता है। उसने दीपेश को अपने डर को दूर करने के लिए प्रेरित किया और उसे यह बताया कि वह अपनी गलतियों से सीख सकता है।
दीपेश ने दादी की बातों पर गौर किया और जब वह अगली बार वहां रहा तो उसे समझ में आ गया कि उसने क्या गलत किया था। उसने धोने के लिए सब्जियों को अलग-अलग पात्रों में न बिखेरने का नियम बना लिया था जिससे वह फिर से इस तरह की भूल नहीं करता।
दीपेश ने इस छोटी सी भूल से बहुत सीखी। वह अब किसी भी काम को तैयार हो जाता था और अधिक चैंपियन बन गया था। उसकी दादी ने उसे यह सिखाया कि हम सभी गलतियों से सीख सकते हैं और जब तक हम सीखते रहते हैं, हम में से कोई भी सफल नहीं हो सकता है।
दीपेश ने इसी परामर्श का पालन किया और उसने तभी से अपने सारे कामों में मेहनत करना शुरू किया। उसने अपना दिमाग चलाना शुरू किया और उसकी भूलों पर ध्यान देने लगा। उसने इस महीने के वक्त में एक अधिक समझदार और जिम्मेदार इंसान बनने का फैसला किया।
इस कहानी से आप यह सीख प्राप्त करते हैं कि हम अपनी गलतियों से सीख सकते हैं। यदि हम किसी भी काम में से झूठकेबाजी करते हैं, तो हमें उससे कुछ सीखना चाहिए। यह हमें सफलता की सीढ़ियों पर ले जाता है और हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है।