Title: एक पारिश्रमिक गवाह
एक छोटे से गांव में रहने वाले रामचंद्र की तबियत पुरानी हो गई थी। उसे बुखार हो रहा था और उसके शरीर में दर्द भी बढ़ रहा था। रामचंद्र ने दवा लेकर भी ठीक नहीं हो पाया। उसने जान बचाने के लिए समुद्र तट पर कुछ पैसे कमाने का फैसला किया।
रामचंद्र ने सोचा कि उसे परेशानी तो होगी पर ये काम करना उसके केंद्र में नई ऊर्जा भर सकता है। रामचंद्र ने पड़ोस में रहने वाले सबसे बूढ़े आदमी से पैसे मांगने का फैसला किया।
लेू साहब, मुझे कुछ पैसे देना। मैं समुद्र तट पर जाना चाहता हूं। समुद्र ने मेरे ऊपर कृपा कर दी तो मैं आपको कुछ धन लाकर दूंगा, रामचंद्र ने लेू साहब से मदद मांगी।
लेू साहब ने रामचंद्र के साथ दस रुपये की मदद की। रामचंद्र ने समुद्र तट पर कुछ लोगों से सवाल किए और फिर उन्होंने उन्हें दूसरे दिन का काम देने का एहसान किया।
रामचंद्र ने खुश होते हुए घर लौटते समय लेू साहब को देखा। उन्होंने वापस लौटने के बाद रामचंद्र से बात की और उनसे पैसे वापस ली।
“लेू साहब, आपने मेरी मदद नहीं की तो आपने मुझे क्यों पैसे दिए?” रामचंद्र ने सवाल किया।
लेू साहब ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, “दोस्त, मैं उन मेहनती लोगों से घृणित हूँ जो समुद्र तट पर काम करते हैं। लेकिन आपने उन्हें मदद की है, जो मुश्किल में हैं। मुझे आप पर नाज़ है कि आप स्वयं को समझदार समझते हो और बहुत समय से काम करने की आदत है। मैं सिर्फ आपके साथ शामिल नहीं होता हूँ क्योंकि मैं धनमंद नहीं हूँ, लेकिन मैं आपकी थोड़ी मदद करना चाहता था।”
रामचंद्र ने लेू साहब के बात से बहुत खुश हुए। उन्होंने लेू साहब के प्रशंसक होने का निर्णय लिया। फिर उन्होंने अपने पारिवारिक समस्याओं के बारे में लेू साहब से सलाह ली।
लेू साहब ने रामचंद्र की समस्याओं को सुलझा कर उन्हें सलाह दी और प्रेरणा दी। उन्होंने रामचंद्र को अपने व्यवसाय में देखा। उन्होंने रामचंद्र को अपने हाथों से एक छोटा सा काम दिया। रामचंद्र ने आसानी से उस काम को पूरा किया।
लेू साहब को धीरज और मेहनत का सम्मान हमेशा से था। वे मानते थे कि परेशानियों का सामना हमें मजबूती देता है। वे रोजाना खुद भी दिन भर काम करते और अन्य लोगों के लिए भी समय निकालते थे। उन्होंने रामचंद्र को यह महसूस कराया कि संघर्ष और मेहनत ही सफलता का मूलमंत्र है।
रामचंद्र दिन-प्रतिदिन मेहनत करता रहा। उन्होंने कुछ समय बाद लेू साहब का साथ गाँव पर ही एक स्कूल खोला। उन्होंने लोगों को शिक्षा एवं स्वविकास की महत्वपूर्णता समझाने का काम किया।
रामचंद्र समुद्र तट और लेू साहब की मदद के कारण सफलता का मजा संभव हुआ था। उन्होंने एक पारिश्रमिक गवाह के रूप में संघर्ष और संघटित काम का महत्व समझा। उन्होंने अपने जीवन का मतलब खोजना तथा समाज के लिए कुछ नया करने का फैसला किया।
इस तरह रामचंद्र ने समाज, उत्थान, और सम्पूर्ण विकास के लिए अपना समय और उत्साह दिया। लोगों के बीच रामचंद्र को एक सराहा गया और लोगों ने उन्हें उनकी मेहनत और समर्पण के लिए याद किया।