Title: एक साथी की कहानी
(Story of a Companion)
प्रेम कुमार एक व्यवसायी थे। वह एक सर्वश्रेष्ठ और सफल व्यवसायी थे जो कभी हार नहीं मानते थे। उन्होंने अपनी व्यवसाय नीवों को बहुत मेहनत से रखा और यह उनके लिए सफलता का राज था।
एक दिन प्रेम कुमार मन ही मन थोड़ी सी अशांति महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपने मित्रों को कहा कि अगले सप्ताह वह टूर पर जाएँगे। उन्होंने सोचा कि वे चुट्टी लेते हुए स्वस्थ रहने के लिए इस टूर का एक दौरा करेंगे।
उन्होंने कुछ दिनों तक अपनी योजनाओं को तैयार किया और अपनी चूँकी फोर्टन के साथ एक टूर करने के लिए तैयार हो गए। जब वे टूर पर पहुंचे तो वे अपने रहने के लिए एक होटल तलाशने लगे। वे जल्द ही घर के बारे में सोचने लगे कि ये ठीक होगा कि नहीं।
तभी वे एक लड़के से मिले, जो नाम से गौतम था। वह प्रेम कुमार को एक होमस्टे से संपर्क करने की सलाह दी जो उन्हें होटल से बचाएगा और उन्हें अच्छे से रखेगा। गौतम ने अनुभव बताया कि वह भी इस इंतजाम को इस्तेमाल करता है जब वह आउटस्टेशन जाता है। उन्होंने कहा कि वह भी इस सेवा के जरिए सुरक्षित एक रहने की सुविधा तैयार कर सकते हैं।
उन्होंने होमस्टे को 1,000 रुपये का बटुआ बनाया, उसे भेजा और उन्हें बताया कि उन्हें चार से पांच दिन तक इस होमस्टे में रहना है। जब प्रेम कुमार अपने फॉर्टन को इस सैनिक जैसे होमस्टे में देखा तो उन्हें प्रभावित नहीं होना चाहिए था। वे कुछ रिसायकलिंग की खीवट से समय बिताने के लिए जाना पसंद करते थे।
एक दिन, उन्होंने कुछ रिसायकलिंग के लिए यात्रा करना शुरू किया। वे देखने वाले हस्तियों, पेड़ों, और धातु-तम्र खच्चरो को देखने में खूब लुभाते थे। उन्होंने एक बड़ी क्षति देखी जो एक चुक से उत्पन्न हुई थी जिसने एक बड़े पेड़ को ढाल रही थी। वह देखा कि एक लोगों का समूह उन डिब्बे के चारों ओर जुटा हुआ था और यह कह रहा था कि “इसे हटाने में मदद कीजिए, हम इसे नहीं हटा पा रहे हैं।”
उन्हे अपनी रिसायकल में बैठते हुए उस दिन का समाप्त हुआ और वे उन साफ आसमान के तहत एक अनुभव के साथ वापस लौट आए। वे जानते थे कि एक जैविक रूप से स्थिर रहने के लिए शरीर और दिमाग एक दूसरे के साथ संतुलित होने की जरूरत है।
अगले दिन, वे एक स्वादिष्ट नाश्ता दिन शुरू करने के लिए उठे। उन्होंने समाप्त करने के बाद, वे एक मेट्रो ट्रेन में बैठा। ट्रेन उस भौतिक हैसियत का अनुभव कराती थी जो उन्हें जैसे समता का अनुभव कराती थी और उन्हें किसी निश्चित सीमा से भिन्न नहीं करती थी। उन्होंने उस दिन के लिए कुछ होटल और यात्रा जानकारियों को संग्रहीत किया और शाम के समय एक रेस्तोरेंट जाने का फैसला किया।
रेस्तोरेंट में वे खुश थे। वे खुश थे क्योंकि इसे देखने वालों ने भी उन्हें इस रेस्तोरेंट का चयन करने के लिए ऊंचा नकारात्मक मुद्दा बनाया था। उन्होंने यह भी नहीं सोचा था कि इसे देखने वाले लोग कभी भी उसे अच्छा विचार कर सकते हैं।
उन्होंने रेस्तोरेंट से निकलते हुए रात्रि भोजन की संभावना को दोबारा रद्द कर दिया। वे एक छोटी दुकान में जाकर दो हेवी रोल और दही साथ संभालना शुरू किया। वे विचित्र लगते थे अगले दिन उन्होंने उस दुकान में खाने कौंसल में शामिल होने का निर्णय किया।
उसी अवधि में, वह उनका साथी गौतम भी उन से जुड़ गया। उन्हें सुझाव दिया गया कि वे भी उन सहज परिवर्तनों को निहारते हुए अपने भोजन संबंधित चयन कर सकते हैं जो उन्हें आनंद देते हैं और सिद्धांतों को बनाए रखने की जरूरत नहीं रखते।
इस वनडे टूर की यात्रा से, प्रेम कुमार ने सीखा कि जब हम दुनिया के साथ एक होते हैं तो हम कितने ज्यादा संतुलित रहते हैं और सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने भी समझना शुरू किया कि जब उन्हें एक दूसरे की मदद चाहिए तो वे उनसे बिना शर्म या भय के संपर्क कर सकते हैं।
अक्सर हमें लगता है कि हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अकेलेपन का अनुभव करना होगा। लेकिन हम समझ नहीं पाते हैं कि हम संयुक्त रूप से कितने सुखद हो सकते हैं। हमें अकेले नहीं होने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, हम एक दूसरे की मदद के लिए तैयार होने चाहिए।