Title: चढ़ती उम्र का अधखुला द्वार
जया ने दस साल पहले एक निर्णय ले लिया था। वह अपनी पढ़ाई छोड़ देने का दिल नहीं कर पा थी। जया एक गरीब परिवार से आती थी और घर का संभालना उसकी जिम्मेदारी बन गया था। उसे अपने परिवार के लिए एक अच्छी जॉब मिली थी लेकिन उसे पता था कि वह ज्यादा समय नहीं दे पाएगी।
जया ने उस समय से अपने सपनों को मरने नहीं दिया। वह हमेशा सपने देखती थी कि कभी न कभी उसका सफर शानदार होगा। उसने अपनी सभी उम्मीदे दरकिनार कर दी थी लेकिन फिर भी उसे आशा दीखाई नहीं गई थी।
जया की उम्र बढ़ती गई और उसे लगता था कि अगली पीढ़ी उससे ज्यादा उम्मीदवार है। उसके दिल में मेहनत और उसके सपनों को पूरा करने की आवश्यकता के बीच कभी-कभी एक तार की तरह कुछ उतार-चढ़ाव हुआ करता था।
उस समय एक दिन जया को एक आने वाली समय में एक संदेश मिला।
“जया जी, आपको मेरी मदद की जरूरत है। आपका पुराना दोस्त, मोहन”
संदेश जया ने कहीं हटा नहीं। उसने इसे देखना शुरू किया और समझने की कोशिश की कि इसमें क्या हो सकता है।
मोहन ने एक रिसर्च फ्रीलांसिंग कंपनी शुरू की थी जो समय से पहले अपने समय से बढ़ते दावों से असंतोष थी। वह अब उस व्यवसाय में जुट नहीं पा था इसलिए उसने जया से मदद मांगी।
जया की भी एक मंजिल थी। वह एक IT कंपनी में नौकरी कर रही थी लेकिन उसे इसमें शांति नहीं मिल रही थी। मोहन के संदेश के बाद जया के मन में कुछ समझ में नहीं आ रहा था। लेकिन फिर भी उसने इसे अन्य विकल्पों के साथ सोचना शुरू किया।
जया ने मोहन से फिर संपर्क किया और उसे अधिक जानकारी मांगी। फिर उसने इससे संबंधित वेबसाइट पर समय निकाला। यह उसे ज्यादा दक्ष और उद्यमी लग रहा था लेकिन फिर भी उसने खुद को संभाला और जासूसी की तरफ बढ़ना शुरू किया।
उसने अलग-अलग खोज शुरू की लेकिन कुछ नहीं मिला। फिर उसका ध्यान एक खबर पर गया जिसमें कहा गया था कि आने वाले दिनों में फ्रीलांसिंग इंडस्ट्री में शुरुआत होगी।
इस खबर से जया की आखों में एक नयी किरण झांक उठी। उसने मोहन को अब इसी के बारे में बात की। उसने विस्तृत अनुसंधान कर लिया जहाँ तक वह पता लगा सकी और निर्णय लिया कि वह एक स्वतंत्र काम करने का फैसला करेगी।
उसे अपनी नौकरी छोड़ना पड़ा लेकिन यह उसे शांति और संतुष्टि लाया। वह अब खुद का अपना व्यवसाय कर रही थी और उसे अपने योग्यता और उनकी जानकारी के आधार पर लोगों को सुविधाएं प्रदान कर रही थीं।
उसका सपना सच हो गया था जो लंबे इंतजार के बाद न हो पाया था। वह अब मुश्किल वक़्तों में भी खड़ी हो जाती थी।
जया ने सपनों को जिंदा रखने की यह शिक्षा दी। वह यह साबित करती थी कि एक खुद का सपना पीछे हटाने वालों को झकझोर सकता है लेकिन उन्हें आपके इरादे से जुड़ा बनाता है।
उसे लगता था कि वह एक अधखुला द्वार है जिसे जोड़कर आप अपने सपनों को जिंदा रख सकते हैं।