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दोस्ती का सफर १०वीं कक्षा में नयी शुरुआत हुई थी।

Title: दोस्ती का सफर

१०वीं कक्षा में नयी शुरुआत हुई थी। रंजन को एक सवाल दिमाग में उठ रहा था कि कैसे उसे छोटे शहर से आने वाले यहाँ नए स्कूल में दोस्त बनाने हैं। उसे बार-बार अपनी पहली स्कूल की याद आती थी।

वह अकेला था। उसे वहां कोई नहीं जानता था। अब, यहां भी वह जल्दी से दोस्त बनाना चाहता था।

वह अपनी कक्षा में बैठा था। सामने वाली पंक्ति में एक लड़का था। हाथ में उसका नोटबुक था। वह अपनी टेबल से नोटबुक उतारकर जब वह उठ कर जा रहा था तभी रंजन ने उसे पूछा “​हम दोस्त बन सकते हैं क्या?”.

लड़का अपनी आंखें ऊपर उठाते हुए एक देर तक चिंता करने लगा। रंजन थोड़ी देर तक उन्हें देखते रहे। तभी उस लड़के ने स्पष्ट आवाज में बोला ” हां, मैं बिलकुल आपसे दोस्ती कर पाऊंगा”।

जैसे ही वह लड़का अपने दोस्त हुआ। दोनों दोस्त थे परंतु उनकी प्रतिरोध कभी कभी रंजन के स्कूल से संबंधित चढ़ जाता था।

कुछ दिनों बाद एक दिन रंजन को दोस्त ने लिफ्ट में बुलाया। आमतौर पर ये उसके घर से स्कूल तक का सफ़र था। उसने दोस्त को बैठाया। उनकी बातचीत जारी थी।

एक दम से उनकी बातें कुछ हटकर से हो गई। उन्होंने देखा कि पड़ोस में आग लगी हुई थी। काफी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। सीधे स्कूल के सामने थाना होता हुआ था इसलिए मुश्किल से गाड़ी का दूसरा सामने कराया गया।

बाकी लोग दोनों छात्रों ने बचाने की एक कोशिश की। उन्होंने साथ जो समझदारी की तो कुछ महीने बाद दोनों दोस्तों ने इससे कुछ अधिक सीख ली।

कभी आपको जीवन में अचानक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। फिर आप जानते हो कि कहीं ना कहीं आपको मदद की भी जरूरत पड़ सकती है।

महीनों बाद उन्होंने कई बार एक-दूसरे की मदद की थी। यह दोस्ती अब और भी मजबूत हो गई थी।

कुछ दिनों के बाद दोनों ने इस जानकारी का लाभ उठाया कि दोनों के पारिवारिक बैकग्राउंड से बहुत अलग-अलग हैं। पर इन्होंने अपनी फ्रेंडशिप को स्ट्रांग रखने का फैसला किया।

ये सफ़र उनकी दोस्ती के लिए कभी कमजोर नहीं हुआ।

हमेशा याद रखिए कि एक सच्चा दोस्त हमेशा आपके दोस्त रहेंगे।

कागा जी

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