Title: बच्चों की नयी दुनिया
एक छोटे से गांव में हमेशा से शांति और खुशी का माहौल था। लेकिन जब से नई सड़क खुली और गांव के बच्चे शहर की तरह जिंदगी जीने लगे, तब से गांव के लोगों को चिंता होने लगी।
बच्चों ने अब खेलों को समय सीमा लगा दी थी। सड़क भर भारी गाड़ियों से हटकर वे अब घर से निकल नहीं सकते थे। बच्चों को सबसे बड़ी मुसीबत तो यह थी कि उनके लिए खेलने के पैमाने थोड़े हो गए थे। मैदान नहीं होने के कारण उन्हें अपने ही छत के ऊपर खेलना पड़ता था।
जब गांव के बुजुर्गों ने इस समस्या का सामना किया तो वे सोचते हुए इस मुश्किल से निपटने का कुछ उपाय निकालने लगे। उन्होंने इससे जुड़े सभी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एक समिति बनाई। उन्होंने सोचा कि अगले हफ्ते संगीत के अनुसार धूमधाम से मानवता का उत्सव मनाते हुए, आयोजन करेंगे। फ्लैग-मार्च, सिंगिंग कंपटीशन और अन्य समारोह आयोजित किए जाएंगे।
बच्चों के लिए पैमाने के खेल आयोजित करने का भी विचार इस समिति के सदस्यों ने किया। इसके लिए उन्होंने सोचा कि छोटे छोटे टीमों को तैयार किया जाए, जो कि अगले महीने आयोजित होने वाले टूर्नामेंट में भाग लेंगी।
वे समिति के सदस्यों ने छोटे से स्कूल के मैदान का चयन किया और उसकी सुविधाओं का विश्लेषण किया। उन्होंने एक संगठन भी तैयार किया, जो कि टूर्नामेंट पर नजर रखेगा। अब उनकी इस समस्या का हल निकल आया था।
वे स्कूल जा सकते थे, लेकिन उन्हें खेलने के लिए समय देना पड़ता था। इसलिए उन्होंने आपस में पैसों की मदद से एक छोटा सा मैदान खरीदने का फैसला किया। वे सभी संगठन के साथ चलते हुए मददगारों द्वारा इस मैदान में एक छोटा सा स्केच भी बनवा दिया।
यह दिखने में बहुत साधारण सा था, लेकिन इसकी असली खासियत यह थी कि यह स्केच बच्चों के मनोरंजन के लिए खुशियों से भरा था। जो भी प्रतियोगिता या टूर्नामेंट होता था वहां बच्चों का आगमन होता था।
आज गांव के सभी बच्चे अपने विज्ञापन, संसाधन और सहयोग से एक-दूसरे के लिए संसाधन बाँटते हैं। उनका दृष्टिकोण बदल गया है। उनका वक्त और बचत भी समझ में आ चुका है। वे अब स्वयंसेवक बन गए हैं। इसीलिए, इस छोटे से गांव में शांति बनी रहती है और सड़कों पर बच्चों को खड़ा होने की जगह पट्टिके खड़ी होती हैं।