Title: बेटी का सन्मान – Beti Ka Samman
शंति ने ठीक एक साल पहले अपने घर में एक बेटी को जन्म दिया था। शुरु से ही अपने परिवार में उसका स्थान अलग था। वह सदैव माता-पिता और भाई-बहन के दिलों में सबसे प्रिय थी। बहुत जल्द उसने अपने बचपन के दोस्तों को पीछे छोड़ दिया और अपने भाई-बहन के साथ खेलने लगी।
लेकिन थोड़ी देर बाद ही शंति के मन में एक संदेह उठता चला गया। क्या पिता इतनी खुशी से भरी नहीं थे? क्या उन्हें यह नहीं पता कि एक बेटी के जन्म से उन्हें समर्पण का एक नया मार्ग मिला था? या फिर इससे पहले के साथ समानता होने की उम्मीद में अब भी उन पर तनाव हो रहा था।
शंति कुछ समय तक अपने पिता से दूर रही। वह धीरे-धीरे समझती गयी कि यह संदेह उसी बुरे समाजी स्क्रूटिनिय का परिणाम है जिसे उसने जन्म दिये जाने के बाद सुनना शुरु किया था। शंति को लगता था कि यह काल्पनिक समाज केवल उन लोगों के मन में होता हैं जो कमजोर होते हैं और सभी जातियों के बीच असमानता को बल देना चाहते हैं।
शंति ने अपने पालकों के साथ अपने संबंधों को सही करने के लिए धीरे-धीरे काम करना शुरू किया। उसने इस प्रकार अपने हितों और अपने परिवार के लिए स्थायी रूप से उपयोगी होने पर ध्यान केंद्रित किया। उसने अपनी पढ़ाई और कैरियर में अपने आप को लगातार बेहतर करने में लगि दी।
एक दिन शंति ने अपनी माँ से बात किए जिसमें उसने बताया कि अगली शादी में उसे सभी तरह की सुविधाएं देने के बजाए वह शादी के विरोध में खड़ी हो जाना चाहती है। वह समाज को सच्चाई से रुबरु कराने के लिए तैयार है।
उसकी माँ ने उसे समझाया कि ज़माना बदल रहा है और अब बेटी का सम्मान सभी को समझ में आने लगा है। वह उसे सलाह दी कि ऐसे विषयों पर उनसे खुलकर बात करें और उसे बताएं कि उन्हें उसके साथ समानता बनाने के लिए समुदाय के लोगों की खुली राय लेनी चाहिए।
शंति को इससे पहले यह नहीं पता था कि वह समाज की बदलती भावनाओं से इतनी तेजी से मिलेगी। उसे समुदाय के लोगों से साझा करने के बाद उसे लगा कि वह अपने समाज में एक उदाहरण बन सकती है।
शंति अपनी कामयाबियाँ हासिल करने के लिए सालों तक काम करती रही। आज वह एक सफल बिजनेस वुमैन है, जो समझती है कि बेटी को जितना सम्मान मिलता है उतना ही समाज और समाज का स्तर ऊपर जाता है।
शंति ने जो कुछ भी पाया है उसे समझने के लिए, वह अपने परिवार और समुदाय के लिए अपने विचार और अनुभवों को बांटने के लिए भी काम करती रही है।
शंति के छोटे भाई को भी उसके साथ समानता काफी समय से मिल रहा है। उसने भी आज तक अपने बचपन के दोस्तों को आगे नहीं बढ़ाया है। बजाय उसने एक सम्मानजनक करियर चुना है, जिसमें वह बेटियों के अधिकारों के लिए काम करता है।
शंति के परिवार ने उसे पूर्णतः स्वीकार कर लिया है और दूसरों को भी बेटियों का सम्मान करने की जरुरत बताने में मदद कर रहा है। बचपन से ही उसके साथ-साथ उसकी सोच भी बढ़ती रही है। आज शंति प्रतिभावान एवं सफलता लाइफ का जीता जागता सबूत बन गयी है जो कि एक उत्तम व्यक्तित्व से समाज के लिए काम करने से आता है।
इस तरह शंति ने सभी को बताया कि परिवार के लिए कोई बेटी घर में सुखद लाेहैं जैसा होता है। उसके संघर्ष ने सबको उसने दिया है कि बेटियों को सम्मान करना अनिवार्य है। यह बेटी का महत्व बताने वाली कहानी ना केवल शंति के जीवन के बारे में बताती है बल्कि समाज की एक बदलती सोच का परिणाम है।