Title: स्पिरिचुअल थॉट्स: संतुष्ट जीवन का धनी
तन, मन और आत्मा – इन तीनों के संतुलन से सत्य का अनुभव होता है। जीवन के इसी अंतराल में धर्म की उपलब्धि से संतुष्ट जीवन होता है। संतुष्ट जीवन एक धनी जीवन है, क्योंकि संतोष हमें सब कुछ जहाँ-तहाँ ढूंढने की जगह अपने अंदर खोजने की तरकीब सिखाता है। यही संतोष के लक्षण होते हैं। वह हमें प्रकाश की तलाश में नहीं भटकने देता, बल्कि जीवन में आनंद लाने की शिक्षा देता है।
धर्म के माध्यम से संतुष्टि कैसे मिलती है? संतोष का सत्य जानने के लिए स्वयं केवल स्थिति, संयम और साधना होती है। संतुष्टि के संतोष नहीं होता, वरन उसके लिए अंतही शांति और अपार खुशी चाहिए। अपनी इच्छाओं को त्याग दें और विवेकशीलता के साथ जीवन जिए, तब स्वयं में एक खुशी का महासागर देखेंगे। नींद, अल्पाहार या मेहनत का अभाव ध्यान लगाने के लिए अवश्यक है।
धर्म न होता तो जीवन की खोज संभव न हो पाती। जब आप प्रयास करते हैं, तो आप दोस्तों से अधिक महत्वपूर्ण संबंध बनाते होते हैं। जीवन से आप कुछ नहीं ले जा सकते हो, इसीलिए देने का ही मतलब होता है। अगर आप जीवन से लोगों और परिस्थिति से बहुत दूर नज़र रखते हैं, तो आपको संतुष्टि की कोई अनुभूति नहीं होगी। जीवन के बंद फंद हमेशा आपको फिर से जीना होगा।
त्याग, आत्मसंयम और कुछ फल विना कर्म की नहीं मांगने से आप जीवन का सत्य जान पाते हैं। जीवन के दुख, सुख, संतोष और सफलता में आपको एक तत्त्विक संतुष्टि की एक महसूस होती है। यही धर्म का अर्थ होता है। जब मानसिक और भौतिक संतुलन को बनाए रखते हैं, तो समझ में आता है कि धर्म हमारे जीवन को संतुष्ट और धनी बनाता है।
गुरु के संदेश से कुछ देखना सब कुछ नहीं होता है, आपको स्वयं इसे अपने जीवन में निहित करना होगा। जीवन में कभी नहीं भूलें कि आप जो होते हैं, उसे आप सीखा होते हैं। आपकी आंतरिक शक्तियों, विश्वास और धैर्य का उपयोग करते हुए कठिनाइयों का मुकाबला करें। संतुष्ट जीवन का रहस्य यही है।
सच्ची संतुष्टि एक अद्वितीय अनुभव है, जो अपने शक्तियों के आधार पर अपने जीवन में मिलता है। जब आप संतुष्ट होते हैं, तो आपका मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ रहता है। इस आनंद के लिए संतुष्टि महत्वपूर्ण है। चाहे जीवन का कोई भी अवसर हो, धर्म के माध्यम से संतुष्टि प्राप्त करने वाले हमेशा खुश और संतुष्ट रहते हैं।
संतुष्ट जीवन का रहस्य जीवन के सभी पहलुओं में छुपा हुआ है। पर उसे ढूंढ़ने के लिए आपको संतुलन के साथ जीवन जीना होगा। अपने आप को समझदार समझने, अपनी इच्छाओं को प्रभावित नहीं होने देने, त्याग और साधना के माध्यम से संतोष का धनी होना ही सच्ची संतुष्टि का मार्ग होगा। सनातन धर्म के माध्यम से धन्य हो जाने के बाद आपको एहसास होगा कि जीवन में किसी भी सीमा या अभाव का अस्तित्व नहीं होता है।