अच्छाई का फल
किसी गांव में एक बहुत ही दयालु शख्स रहता था। वह सभी के दिलों में सम्मानित था क्योंकि वह हमेशा दूसरों की मदद करता था और किसी को आज्ञा नहीं देता था। वह हमेशा लोगों के दर्द को समझता था और उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहा करता था। उसे सभी अपना सच्चा दोस्त मानते थे।
एक दिन, उसे एक मूर्ख आदमी मिला जो बात बात पर रूठ जाता था। उसने उस शख्स से कुछ पैसे मांगे। शख्स ने उसे कुछ पैसे दे दिए लेकिन जब उस व्यक्ति ने फिर से पैसे माँगे तो शख्स ने उसे इनकार कर दिया। फिर उस व्यक्ति ने उसे धमकी देना शुरू कर दी और उसे ये कहते रहा कि अगर वह पैसे नहीं देगा तो उसको जान से मार देगा। शख्स ने ये बात बड़े साहस से सही लेकिन उसका मन बार-बार उसकी माँ के बारे में सोचने लगा, जो अंतिम समय अपनी बीमारी के चलते अधूरी रुखसत हो गई थी
उसने अंत में उस व्यक्ति को पैसे दे दिए। वह उस मूर्ख आदमी के लिए दुःखी नहीं था बल्कि अपनी माँ के लिए दु:खी था। उसे बुरा लग रहा था कि उसने ईमानदार नहीं रहा। आखिरकार, उसे लगा कि बुरी तरह से झूठ बोलने से उसकी कोई फायदा नहीं होता था। उसे ये समझ में आ गया कि अच्छाई हमेशा उसे सच्चे फलों की तरह पसंदीदा होती है।
उस दिन से उस शख्स ने फैसला कर लिया था कि वह करोडों लोगों की मदद करेगा और हमेशा सच्चा रहेगा। उसने एक छोटी सी गाड़ी ली जो लोगों की मदद करने के लिए उसे मदद करती थी और वह लोगों के घर-घर जाने लगा था। उसे ये देख कर लोगों के दिलों में नया सम्मान मिलने लगा था।
एक दिन, उसे एक बुजुर्ग बीमार मिला। शख्स ने उसे अस्पताल ले जाया और वह उसकी देखभाल करने लगा। बुजुर्ग ने उसे एक पौधे के छोटे से फलों से भरे एक झोले दिया। ये फल बहुत ही स्वादिष्ट थे और शख्स को उनकी स्मृति में उसकी बुजुर्ग माँ की यादें आने लगी।
उसने बुजुर्ग से पूछा कि ये फल नाम क्या है। बुजुर्गने उसे बताया कि ये ‘अच्छाई का फल’ था। इस फल को खाने से शरीर में ताकत बढ़ती है, दिल और दिमाग स्वस्थ रहते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि इससे इंसान का व्यवहार भी अच्छा होता है।
शख्स को बुजुर्ग के बताए गए फल की चमत्कारिक गुणवत्ता जानकर बहुत अच्छा लगा। उसने उस बुजुर्ग को अस्पताल से वापस लौटने के लिए गाड़ी छोड़ दी। इससे उसका महसूस करने वाले लोगों के दिलों में उसकी सम्मान और अच्छाई का स्थान भी और अधिक बढ़ गया।
समय बीतता गया और शख्स की सहायता से कई लोगों की मदद हुई। उसे हर जगह सम्मान मिलता था क्योंकि छोटे छोटे कामों को तुरंत हल करने की उसकी क्षमता को लोगों ने हमेशा देखा। उसे अब समझ में आ गया था कि संदेह की अवस्था में हमेशा सच्चाई के पक्ष में रहना ज़रूरी होता है।
एक दिन, दुनिया के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने उसे अच्छाई के लिए सम्मानित किया। संस्कृति और अनुष्ठान की अग्रदूत के तौर पर उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। वह अपने काम का गर्व से झुकाव न क्योंकि उसे पता था कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण बात को जीवन में अपने साथ ले जाया था कि अच्छाई हमेशा उसे सच्चे फलों की तरह पसंदीदा होती है।