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आत्मीय उदय आत्मा हमारे शरीर का सच्चा शासक है। इसके

Title: आत्मीय उदय

आत्मा हमारे शरीर का सच्चा शासक है। इसके कर्मो से आस्था बढ़ती है और उसे सक्षिप्त मे हम भगवान कहते हैं। हमारी असमंजस में आत्मा ही हमारा संगठन होता है जो हमें पथ बताता है। आइए पढ़ते हैं कुछ ऐसे आध्यात्मिक उद्धरण जो हमारे मार्ग दर्शक हैं।

1. “आत्मा ने तो तुझसे बात की होगी, लेकिन तुझे कभी सुनाई नहीं दी होगी।”
यह उद्धरण हमें आत्मा की महत्वता बताता है। आप अपने आत्मा से बातचीत करें, वह हमेशा आपके साथ होता है। आपको खुशी और दुःख दोनों में साथ रखता है।

2. “जिस तरह से सूर्य ज्योति की किरणों को फैलाता है, उसी तरह से आत्मा से प्रकाशित होती है।”
यह उद्धरण हमें बताता है कि आत्मा की ज्योति हमारे आसपास सदैव मौजूद होती है। इसे समझने के लिए हमें अपने मन के भीतर जाने की आवश्यकता होती है तथा आत्मा से जुड़ने की भी इच्छा होती है।

3. “गगन सी उँचाइयों पर तभी उठ जाएगा, जब वह अपने आप को बंदिशों से उड़ाएगा।”
इस उद्धरण से हमें यह समझ मिलता है कि आत्मा में स्वतंत्रता का अनुभव करना जरूरी होता है। अपनी आत्मा को प्रेम और शांति से भर दें जिससे बंधनों से आप अपने आप उड़ जाएंगे।

4. “चिंता एक बुरी सहेली है, जो सबके साथ रहती है लेकिन फिर भी वे किसी की सहायता नहीं करती।”
इस उद्धरण से हमें यह समझ मिलता है कि अत्यधिक चिंतन से हम अपने आसपास रहने वाले लोगों को असंतुष्ट कर देते हैं। इसलिए चिंता के लिए उपाय नहीं, बल्कि समय स्वरूप दूसरों की सहायता करना होगा।

5. “यदि आप सच को जानना चाहते हैं, तो सच में आसक्त रहें।”
इस उद्धरण से हमें यह समझ मिलता है कि जो लोग समझ करते हैं कि उनके भीतर जो सच है, वे उसे समझना चाहते हैं, उन्हें अपने आत्मा में आसक्त रहना चाहिए।

6. “वह जो बिना सोचे समझे हँसता है, वह केवल शोर मचाता है।”
इस उद्धरण से हमें समझ मिलता है कि अपनी आत्मा के प्रकाश में आकर, हमें सोच समझ के बिना कुछ भी नहीं करना चाहिए। अपने मन का संतुलन रखना और जीवन को सकारात्मक बनाना हमारी ज़िम्मेदारी है।

7. “आत्मा में आध्यात्मिक स्थिति होती है, दुःख समाप्त हो जाता है।”
आप सच में आपको जरूरत से ज्यादा खुश करने वाली चीजों के पीछे नहीं दौड़ने के लिए सच की तलाश में हों। सामान्य जीवन के शोरगुल में आत्मा को कैसे स्थिर रखा जाए, यह ध्यान में रखना ज़रूरी होता है।

समाप्ति:
गहनता और व्यापकता के बावजूद, सच्ची खुशी स्वयं के आसपास ही है। अपनी आत्मा की मदद से आप उसे महसूस कर सकते हैं। उम्मीद है ये उद्धरण आपको अपने आत्मा में स्पर्श करते हुए, सत्य के प्रति अधिक संवेदनशील बनायेंगे।

कागा जी

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