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हमेशा एक जंगल होता था। उसमें जंगली जानवर होते थे।

हमेशा एक जंगल होता था। उसमें जंगली जानवर होते थे। सभी जानवर एक दूसरे के साथ खुश रहते थे। फिर एक दिन एक छोटी सी संख्या की बारिश हुई। जंगल में सभी जानवर खुश थे, क्योंकि वे बारिश से भरपूर नहीं हुए थे।

लेकिन एक समय ऐसा आया जब जंगली जानवरों को पानी नहीं मिल रहा था। वे सभी भूखे हो गए थे, और उन्हें अब ऊंचे पेड़ों तक जाना पड़ता था ताकि वे पेय के लिए कुछ खा सकें।

एक दिन दो दोस्त शेर और बाघ एक साथ ही ऊँचे पेड़ो के पास खड़े हुए। दोनों को भूख लगी थी, लेकिन वे दूसरे जानवरों के तरह नहीं हटे थे। उन्होंने एक दूसरे की मदद के साथ एक नया पानी का स्रोत खोजा।

शेर खुद बहुत दबदबा था। उसने अपने बलवा का उपयोग करके उच्च ढेरों और झाड़ियों पर चढ़कर नया पानी का स्रोत खोजा। वह पानी लाइन खींचकर दूसरे जानवरों के साथ साझा करता था।

बाघ पानी की तलाश में छत के ऊपरा प्रवेश करने वाला एक मार्ग खोज लिया। वहाँ पर वह जल विशाल अंगूठे के ऊपर उतरने के बाद दूसरे जानवरों के साथ भाग्यशाली नहाने का का संघ बना पाया।

एक दिन शेर को कुछ दिखाई नहीं दिया था, फिर मेरे पास कुछ कहने के लिए आया। “मेरा दोस्त,” उसने कहा, “मुझे पता है कि हमें सभी के साथ पानी साझा करना चाहिए, लेकिन आज कल मैं बीमार हुआ हूँ और मुझे अधिक पानी चाहिए होगा।”

मैंने उसे बारिश के दिनों में चलाए जाने वाले सामान पर ध्यान दिया, आदमी के आने से पहले उसे नई पानी की आवश्यकता हो सकती थी। जंगल में अन्य जानवरों के लिए पानी को खोजने के लिए दौड़ रही थी।

बाघ ने शेर से कहा, “तुम हमेशा सबके लिए काम करते हो, मुझे लगता है कि अब हमारी बारी है आपकी मदद करने की।” फिर उसने शेर के हाथ में एक कटोरा दिया।

शेर ने इस कटोरे से बाघ को पानी के लिए भीगोया और जंगल में घूम फिरकर उसे सभी जानवरों के साथ साझा करना शुरू किया। वह अब बहुत स्वस्थ और खुश था।

शेर और बाघ सही दिशा में सहयोग करने से अधिक महत्वपूर्ण हो गए थे। तभी से समझौता हुआ कि हमेशा दूसरों की मदद करें और अपने आप को समझें। यह समझौता उन्होंने कभी नहीं भूला।

कागा जी

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