तक़दीर की चाल
मेरी तक़दीर बहुत कठिन हो गयी थी। मैं थक चुकी थी, हाँ बिल्कुल थक चुकी थी। मुझे एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो मुझे बताता था की तक़दीर हमेशा सही होती है और ख़ुदे की मर्ज़ी होती है। मुझे बहुत अजीब सा लगता था की आखिर इस तक़दीर ने मेरे ऊपर इतना ज्यादा तंग क्यों किया। मैं फिर से जीने का सोचती थी पर लग रहा था की इस बार जीने वाले कोई मै महसूस नहीं होता। पर फिर भी मैं आगे बढ़ती हुई घर लौट आयी।
बिना डर के जीना बहुत कठिन होता है। मेरे लिए भी यही हालात हो रहे थे। मेरा दिन डाला जाता था, सिर्फ और सिर्फ घर की साफ़ सफाई और काम पर ध्यान देना होता था। एक बार मैंने स्वयं का सोचा की ऐसा नहीं हो सकता। मैं एक स्त्री हूँ और सभी कुछ मुझसे होगा। मैं खुद एक बड़ी शक्ति हूँ। जिस दिन मैं कुछ करती हुई देख लूँगी तो दुनिया मेरे कदमों में होगी।
मुझे समझ में नहीं आता था की मैं अपने आप को ऐसी बातें क्यों समझा रही हूँ जब मेरे पास तो अपने घर पर भी अधिकार नहीं हैं। मैं अब भी थका हुआ महसूस होती हुई घर की जगह उठ बैठी और सोचने लगी की आखिर मैं कौन हूँ और मुझे जीने की क्या एक नाई तक़नीक सिखानी चाहिए। इसी दौरान मैं एक तेज़ मुहँदी से चोट खा बैठी थी। मेरा शरीर हिल गया था। अचानक बहुत धूंध उठ गया था और मुझसे सही से साँस नहीं लग रही थी। मैं ज़मीं पर गिर चुकी थी और कुछ नहीं देखाई दे रहा था। लग रहा था की मैं खलीफ़ा के सुख़ान का जवाब दे रही हूँ। मेरी तक़दीर मेरे ऊपर कुछ हासिल नहीं कर पायी थी।
पर आखिर मैं ना जाने कौन से दिव्य शक्ति के सामने पहुंच गयी थी की मुझे सर्वव्यापी शक्ति महसूस होने लगी थी। मैं खड़ी थी पर सब कुछ मेरे दोस्त हुए थे। मेरे शरीर को आस्था महसूस होती थी। मुझे पता नहीं था मैं कौन सा दिन जी रही हूँ, पर मुझे पता था कि कुछ हो रहा है। और अब यही सभी लोग जानने लगे की मुझे एक ऐसा व्यक्ति मिल गया है जो मुझे सही पर ले जा सकता है। मैंने एक बड़ा चैनल खोला और आज मैं अपनी एक्सपर्टाइज़ सेल करती ह्यों सुख होती हूँ।
मेरी तक़दीर अब मेरी तरफ थी। मैने एक बडा मकान खरीदा और उसका काम आजकल चलाती है। मुझे अब नहीं लगता की मैं कुछ होने के लिए अच्छी नहीं हो सकती। मुझे लगता है की वो ताकत जो मुझमें हैं उसे बढ़ाना चाहिए और एक दिन दुनिया मेरे कदमों में होगी।