Title: सपना
एक सुंदर सुबह की ताजगी के साथ ही आमिर नागरिकाधिकारी महेश राजवंशी की आँखें खुल जाती हैं। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान होती है, क्योंकि वो जानते हैं कि वह किसी न किसी समस्या का समाधान निकालने में सफल होंगे। उन्होंने सोचा कि आज कुछ खास करना चाहिए, जिससे लोगों को सहायता मिल सके।
महेश ने सोचा कि उन्हें अम्मा के चावल के दाने मिलकर सबसे पहले धन्यवाद कहना चाहिए। उन्होंने एक सार्वजनिक चैनल पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें वे अम्मा को सम्मानित करेंगे।
कार्यक्रम में बहुत से लोग शामिल हुए। एक अम्मा जिन्होंने बहुत से लोगों की गरज कम की थी। महेश ने उनकी सफलता की कहानी सुनाई और उन्हें सम्मानित किया। आम्मा को यह आदा लगी कि वे केवल शर्त पर ही उसके चावल के दाने स्वीकार करेंगे। महेश ने पहले ही तय किया हुआ अपना शर्त पूरा कर दिया।
आम्मा के चावल के दाने लेकर महेश ने सभी को बोला, “यह एक अमूल्य उपहार है जो मुझे उस व्यक्ति को देना है, जिसने देश के लिए अपने अदम्य परिश्रम से समाज की सेवा की है।” उसके बाद महेश ने आम्मा को श्रद्धांजलि भेंट की और सभी ने उनकी शीलभंजीत की।
इससे बहुत से लोगों ने इन्हें और भी उनकी सहायता करने लगे और महेश के चावल के दाने की कड़वाहट मिटने लगी। उन्होंने दिन भर से आया कर और जन-कल्याण के लिए अपने समय का उपयोग किया।
एक दिन, महेश ने एक परिवार को देखा जिसके पास खाने के लिए भी पेट का भरने का भी पैसा नहीं था। उन्होंने महेश से साहाय्यता मांगी, जिसे महेश करने के लिए तत्पर थे।
महेश ने उनकी मदद की और कहा, “तुम मेरे लिए पानी लाओगे तो मैं तुम्हे सहायता करूंगा।” परिवार ने उसे पानी लाकर दिया और महेश ने उनको सहाय्यता दी।
उसे उस दिन के बाद एक नया मित्र मिला और उनके साथ समय बिताने लगा। महेश ने देखा कि समाज में कितने लोग हैं जो एक छोटी समस्या से जूझ रहे हैं और उनकी मदद की जरूरत है।
महेश ने इस परिवार की सहाय्यता के साथ ही एक समिति बनाई, जिसका काम था सामाजिक संतुलन और गरीबों की मदद करना। इस समिति की माध्यम से उन्होंने गरीबों की शिक्षा, आय सुधार के लिए काम किया।
महेश की यह कहानी बहुत लोगों के दिलों को छू गई और उन्होंने बड़े पैमाने पर गरीबों की मदद करने का कार्य संभाला।
इसी नाते, अम्मा के चावल के दाने ने समाज में एक विशेष सम्मान और प्रेम का संदेश पहुंचाया। सपनों को साकार करने की ताकत को महसूस करने वाले महेश की उदारता और सहानुभूति ने सबको प्रेरित किया।
इस प्रकार, बाबुलनाथ नगर में बुराई के खिलाफ एक नई लायरीय युद्ध शुरू हुआ, एक सपना जिसमें समाजिक समर्थन और समर्थन की संख्या बढ़ी। इस सपने के नतीजे में बाबुलनाथ नगर के नए क़दमों से एक नया चाँदण पैदा हुआ।