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दस्तक

Title: दस्तक

अकेले रहने वाले शंकर को एक दिन अनोखी दस्तक मिली। कोई नया व्यक्ति वहाँ उसके दरवाजे पर खड़ा था। शंकर ने खिड़की से देखा, फिर दरवाजे की तरफ देखा। कंधों पर एक पोटली, लेकिन क्या होगा? शंकर ने दरवाजा खोल दिया।

“नमस्ते, मैं हूँ राम कुमार, आप कौन हैं?” अजनबी ने पूछा।

“मैं शंकर हूँ, क्या काम है?” शंकर ने भी नाम बताया।

“मुझे आपकी सहायता चाहिए।” राम कुमार ने कहा।

“मेरी सहायता, कैसी?” शंकर ने ऊँची आवाज़ में पूछा।

“आपके घर के पीछे मेरा घर है। जो दिन से ही खड़ा है। मैं उसे वहाँ से हटाने में असमर्थ हूँ। क्या आप मेरी मदद करेंगे?” राम कुमार ने गम्भीरता से कहा।

शंकर को आश्चर्य हुआ क्योंकि उसने अपने पीछे कुछ इस तरह का घर पहले कभी नहीं देखा था। उसे अजनबी का व्यवहार भी अलग लगा।

वह शंकर से पूछता रहा, “क्या आप मेरी मदद करेंगे?” शंकर सोचता रहा, तब उसे एक उलझन महसूस हुई। क्या वह इस अजनबी का भरोसा कर सकता है? क्या यह उसकी गलती होगी?

उभरते हुए विचारों में उसे एक मित्र की याद आयी, जो उसे स्कूल से घर तक चला जाता था। फिर शंकर ने अनोखा अनुभव शुरू किया।

साथ ही उसे जोखिम भी लेना पड़ा। लेकिन उसमें वह कार्य करता रहा। पटरी से बाघबान तक, वह अनजान युवक की मदद करता रहा। आखिर में युवक कुछ बड़े लगते निचले रिक्त स्थान पे अपना घर बनाने का इशारा करते हुए चला गया।

शंकर को उस युवक से कोई उम्मीद नहीं थी, तो उस से मदद का व्यवहार अजीब लगा। फिर उसने सोचा कि शायद इस अजनबी ने भी उसी एक जैसे अनुभव से गुज़रा होगा। इसलिए, उसने राम कुमार के साथ जुड़ना फैसला किया।

शंकर ने इस अनोखे मिशन में राम कुमार की मदद की और दोनों ने एक होकर वहाँ आ कर उस एक जैसे अनुभव से लड़ना शुरू कर दिया। वे एक साथ काम करते हुए जमीन पर एक मकान का निर्माण शुरू करते हुए उसे उस जमीन से मोड़कर लग जाते हैं।

सब कुछ ठीक था, तब तक जब उन्हें सरकारी दफ़्तर से घंटी की आवाज न सुनाई दे जिसे राम कुमार ने बजाना शुरू किया था।।

कहीं न कहीं, शंकर को लगता था कि वह अजनबी ने उसे यहाँ से दूसरी जगह पर ले जाने की योजना बना रहा है। लेकिन वह गलत था। उस अजनबी कोई और नहीं बल्कि उसका पुराना दोस्त था जो उसे याद आया और जिसकी मदद से वह घर बना रहा था।

अब शंकर की सहायता भी मिल गई थी। वजन बांधने के बाद वे एक हो गए थे और अब वे मकान का निर्माण पूरा कर रहे थे।

यह पूरे अनुभव शंकर को पता लग जाने के बाद मजबूत बना दिया था कि कभी भी अनजान व्यक्ति पर विश्वास करने से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

एक बदलाव शंकर की जिंदगी में ला रहा था जो उसे उसे उसे उसकी पहले से बेहतर हो गई थी। अब उसे अपने जिंदगी को नए एक्साइटमेंट से देखने का मौका मिल गया था। और उसके जैसे अनेक सामान्य लोग, संघर्ष करते हुए लंबे समय तक एक आदमी के बनने के लिए काम करते हुए, अपने परिवारों को समर्थन प्रदान करते हुए उन्हें शान्ति दिलाते हुए।

कागा जी

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