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वेदना की बढ़ती लहरें

वेदना की बढ़ती लहरें

एक व्यक्ति के जीवन में बदलाव की लहरें बहुत बार आती हैं। वह इससे सामना करते हुए जीवन में आगे बढ़ता है। उसी तरह एक व्यक्ति ने भी अपनी मुसीबतों से जूझते हुए अपने जीवन में एक नई लहर को देखा।

युवक का नाम विवेक था। वह अपने सपनों की पूर्ति के लिए अपने माता-पिता के साथ शहर से दूर एक छोटे से गांव में रहता था। विवेक अपने जीवन में काफी संघर्षों से गुजर रहा था। उसके पास अनेक समस्याएं थीं लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।

एक दिन विवेक ने देखा कि उसके दाएं कण्वे में एक रोटी अटक गई है। वह उसे मॉर्निंग वाक पर बिना कुछ सोचे-समझे ले गया। टेंसन के दो दिनों बाद रोटी कण्वे से नीचे गिरते हुए दिखाई दी। इससे विवेक को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने इसे अपने दिल में समाया।

अगले दिन उसने फिर से कण्वे की ओर ज़रा सी देखा तो उसे ये पता चला कि कण्वे में लहरें होती हैं जो सभी चीज़ों को अपनी तरफ खींचती हैं। विवेक ने इसे एक निश्चित तरीके से देखा था। उसने इसे अपने जीवन के साथ जोड़ दिया।

विवेक ने अपने जीवन में भी बहुत सारी आधारभूत समस्याओं का सामना करा होता था। उसने ये सोचा कि जो भी समस्या उसके जीवन में आती थी, उसे ये पता चला कि इससे उसे कुछ नया सीखने को मिल रहा है। इसी तरह उसे ये भी महसूस हुआ कि जो भी व्यक्ति इस ज़िंदगी में अपने साथ कुछ न कुछ अच्छा या बुरा क्रूर अनुभव करता है उसे अपने आप को बदलने का एक मौका मिलता है।

विवेक ने इस बात का भी महसूस किया कि जिस व्यक्ति ने जीवन में सुख और दुख दोनों को गहराई से महसूस किया होता है, वही आगे के जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तैयार होता है।

अपनी यह सोच विवेक ने कुछ समय में अपने जीवन में फैलते नए मौलिक आदर्शों के लिए उत्तरदायी रूप से बदल लिया। वह अब अपने आप से ज्यादा समझदार और ज्ञानी हो गया था।

अब उसकी बातचीत और निर्णय स्पष्ट थे। उसने अपने मतभेदों को सुलझाने की क्षमता विकसित की थी, और इससे उसकी सोच परिवर्तित हुई थी।

विवेक ने अपने जीवन की बहुत सी समस्याओं का सामना करते हुए इसे नई लहर मान लिया था। उसने ये भी समझ लिया था कि जो भी समस्याएं उसके समक्ष उत्पन्न होती हैं, उसे इनके वर्तमान दृष्टिकोण से देखने की क्षमता से पूर्णता प्राप्त होती है।

विवेक ने घर लौट कर बहुत सोच विचार करते हुए इस परिवर्तन की सत्यता को स्वीकार किया। अब उसे समस्या का सामना करना कोई बड़ी बात नहीं थी।

उसने ये सोचा कि मैं जो कुछ भी कर सकता हूं, उससे इससे जुड़ी परेशानियों का हल निकाल सकता हूं। यह सोचने से विवेक को नया स्पर्श मिला।

अपने आप पर विवेक ने भरोसा करना सीखा था और अब वह जीवन में आगे बढ़ता गया। इससे उसके साथ कई महत्वपूर्ण और नए अनुभवों की पैदावार भी हुई जिससे उसकी प्रतिभा के नए सिरे खुल गए।

जीवन के कुछ लम्हों में जब व्यक्ति प्रतिक्रियाओं से भरा होता है, तो आसानी से अपने जीवन में बदलाव लाना संभव नहीं होता है। लेकिन विवेक के जीवन में एक छोटी सी बात खुशहाली की ओर ले जाने में बहुत मदद करती थी।

विवेक ने समझा कि सफलता उस पर बेटिकती है जो लड़ाई से निडरता से लड़ता है और जो उन्हें क़ाबू करता है इसे जीतता है।

जब तक विवेक जीवन की झुंझलाहटों और उससे संबंधित सभी मुश्किलों से गुजरता रहा, उन्हें जीता रहा। अंत में, उसने वह संतुष्टि प्राप्त की जो उसके लिए सबसे बड़ी सफलता थी।

इससे विवेक के जीवन में बदलाव की नई लहरें आईं और उसे समझ आ गई कि सफल होने का रहस्य मिल ही जाता है जब वह कुछ नया सीखता है या दूसरों से कुछ नया सीखता है।

कागा जी

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