एक सच्ची मित्रता कि कहानी (The Story of a True Friendship)
यह कहानी एक गाँव में शुरू होती है, जहां दो बचपन के दोस्त होते हैं, राम और श्याम। वे दोनों एक समान स्थान से आते हैं और स्कूल में अक्सर एक साथ खेलते होते हैं। ये दोनों में स्नेह अत्यंत गहरा था।
जब वे मध्यम शिक्षा में पहुंचे, तब राम के परिवार को एक मुसीबत आ गई। राम के पापा की मृत्यु हो गई थी और उनके घर को एक वित्तीय तंगी में डाला गया था। इससे वो स्कूल भी नहीं जा पाता था।
यह देखकर श्याम बहुत दुखी हुआ। उसने अपने परिवार से इस बारे में बात की और उन्होंने उसे अपने घर में रखने की मंजूरी दी।
इससे पहले राम ने अपने मित्र को कभी अपने गम में नहीं शामिल किया था। लेकिन श्याम के घर में रहकर, उसने अपने सारे दर्द और दुख समझाया।
श्याम के परिवार ने न केवल राम के खाने-पीने की व्यवस्था की बल्कि उनके लिए एक स्कूल भी आरंभ कर दिया। अध्यापक के साथ बातचीत के बाद, उन्होंने कहा कि वह राम के व्यवस्थित अवसर के लिए धन्यवाद देते हैं।
इससे पहले कि राम ने कुछ सोचा, श्याम ने उसे कंधे पर रख लिया और उसे नए स्कूल में ले गया।
शुरुआत में, राम नए स्कूल में प्रतिभागिता महसूस नहीं करता था। लेकिन usne apna kaamvaas badal ke chhatraon ke saath sampark banaye और वह खुश होता था कि उसे श्याम में एक स्नेही के रूप में मिला।
दोनों बचपन से अब बूढ़े हो गए थे और श्याम के पास अपनी बेटी का एक घर था। उसके बच्चे एक बड़े शहर में रहते हैं और उनकी शादी उनके घर पर होनी थी।
श्याम के घर वह उनके बच्चों और पोतों के लिए बड़े सुखद विवाह अभिव्यक्ति को तैयार कर रहा था। लेकिन निराशा की बात यह थी कि उसके बच्चे उससे अलग रहते थे और वह उनसे मिलने जाने में उन्हें पसंद नहीं करते थे।
राम ने श्याम को उस वक्त विजय दिवस की शुभकामनाएँ दीं और उससे कहा कि रात में वह उसके घर जाना चाहता था।
श्याम को बहुत अजीब लगा कि उसके दोस्त क्यों उनकी घर आ रहे हैं। लेकिन जैसे ही वह उन्हें द्वार में देखा, उसने उन्हें एक जड़ से जड़ लिया।
दोनों कुर्सियों पर सो रहे थे जब वो उनकी बातचीत में समय बिताते हुए सुबह के लिए निकले और नहाकर देर से वापस लौटे। शायद उन्होंने कुछ पिया गया था लेकिन श्याम उनपर विश्वास और स्नेह से भरा था।
श्याम के घर से चढ़ती सूर्य की लाली देखते हुए, दोनों मित्रों ने धीमे आवाज में दस्तक दी, उसके बाद सही की खींच लगाई, गाड़ी पर चढ़े और उससे निकल गए।
यह श्याम के लिए एक असामान्य रात थी क्योंकि दोस्तों के इस तुष्टि संबंध को किसी भी प्रकार से तोड़ना नहीं था। राम ने कोशिश की हर तरह से अपने मित्र को सहायता करने के लिए जो एक निश्चित प्रमाण था।
श्याम ने हमेशा समय पर उनका समर्थन और साथ दिया था, चाहे वह अपनी बेटी की शादी हो और वह दिल टूटे या उसके पापा की मृत्यु होगी। वह हमेशा उसके साथ था।
राम के द्वारा श्याम के समर्थन एक असीमित स्नेह का एक तस्वीर था। ये दोनों दोस्त एक दूसरे पर बिना बोले समझ सकते थे। यह बीच उनकी महान और सच्ची मित्रता के पीछे की उनकी अनोखी कहानी थी।