Title: दोस्ती – एक अनोखी बंधन
एक छोटे से गांव में दो लड़के रहते थे। रामू और श्याम। रामू एक गरीब परिवार से था और श्याम के पास कुछ नहीं था लेकिन दोनों में एक छोटी सी खुशी थी और वह थी दोस्ती। रामू और श्याम काफी प्रिय थे दोनों के बीच सोच, विचार, मजाक वगैरे स्वतंत्र रूप से होते थे।
हर रोज स्कूल जाने के बाद, दोनों लड़के बहुत देर तक मिलकर खेलते थे। उनकी खेलने की पसंद थी गुल्ली डंडा, कोको-डोबी, कबड्डी तथा क्रिकेट। कई बार दोनों लड़कों के बीच विवाद भी होते थे पर मुश्किल के समय में सदैव दोनों आपस में ही मदद के लिए तैयार रहते थे।
परंतु एक दिन यह सुखद संबंध रुक गया, जब श्याम के घरवालों को उनकी स्थिति संबंधी अफसोस होता हुआ अपने समुदाय के लिए एक कार्य में भाग लेने के लिए दोनों और उसके बाद कुछ महीनों के लिए उसकी शिक्षा छोड़नी पड़ी थी। रामू अपने दोस्त की ओर ध्यान नहीं दे पा रहा था और उसको दिल से भेदभाव करने लगा था।
श्याम उदास हो गया क्योंकि वह अपने प्यारे दोस्त को यह नहीं समझा पा रहा था कि यह हर किसी को नहीं मिलता है। लेकिन श्याम निराश नहीं हुआ, वह हर दोपहर जगमगाहट में जा कर नाचता था। रामू उसे देखकर सोचता था कि वह कितना मस्त होता है और खुश रहता होगा हालांकि उसके मन में वह लम्बे समय से कटुता था।
अधिक समय निकलता गया और उसके बाद दोनों की संपर्क-बंधन टूट गयी। रामू लोगों से अलग हो गया फिर भी उसके मन में श्याम के प्रति भय लगा रहता था कि वह नाचता ही रहता है या अब उसकी स्थिति भी ठीक नहीं होगी।
एक दिन जब रामू अपने घर से गुजर रहा था, तभी कुछ एक बच्चे उससे टकरा गये। वह एक कपड़ों में ढके हुए पुराणे आदमी के साथ थे। रामू को उसने पहचान लिया क्योंकि वह उसका पुराना दोस्त श्याम था।
वह उसे मिलने गया था क्योंकि उसके पास कुछ पैसे नहीं थे और उसकी मदद चाहिए थी। इससे पहले कि रामू कुछ कर पाये, वह भगवान से दुआ मांगने चला गया। कुछ ही देर में उसने एक तरह का आदमी मिला जिसने उसे अपने साथ ले जाने का वादा किया।
रामू खुश था क्योंकि उसने अपने मित्र को नेगेटिव सोच करने से बचा लिया था और अब उसके मन में पूरा उत्साह था जिसे वह बिछाने के लिए एक नए शुरुआत करने की भरपूर इच्छा थी।
दो दिन बाद रामू ने सोचा कि वह श्याम से फिर से मिलेगा। जैसे ही दोनों लड़कों के बीच मुलाकात हुई, उनमे से एक वही दोस्ती महसूस हुई जो पहले थी। दोनों को उनके याद्दाश्तों में भाता क्योंकि वे पुराने दिनों के ख़ुशियों और आनंद से भरे थे। रामू ने अपने मित्र को अपने घर बुलाया और उसे अपने परिवार के साथ खाने का आमंत्रण दिया।
दोनों लड़कों ने अब एक दूसरे के दर्द को समझ लिया था। उनकी दोस्ती में कोई बाधा नहीं थी और वे अपनी शान्ति को टूटे हुए गुले से मिलाकर फिर से कायम कर दिए थे। अब उनकी दोस्ती, उनके बीच और कभी भी नहीं टूटती थी।
इस हस्ती भरी दुनिया में एक सच्ची दोस्ती जो कठिनीयों से निपटती हुई एक बंधन होती है और उसे तोड़ना बहुत मुश्किल होता है। यह दोस्ती उन बच्चों की तरह होती है जो कभी भी एक दूसरे के पास रहते हैं और एक दूसरे के संगीत को सुनते हैं। आखिर श्याम और रामू भी एक दूसरे के संगीत को सुनते हुए अपनी जिंदगियों का सफर आगे बढ़ाते हुए चले गए थे।