Title: गुमशुदगी की तलाश
एक छोटे से गांव में रहता था एक बहुत ही सामान्य सा युवक. उसका नाम अजय था। अजय बहुत ही सक्रिय था और हमेशा से ही नयी चीजों का दीवाना रहा था। उसके पास कभी धन नहीं था, लेकिन कभी उसने इस बात का दुख नहीं जताया।
एक दिन अजय ने गांव के बाहर जाने का फैसला किया। वह दो दिन के लिए अपने गांव से बाहर जाने का फैसला किया। वह जानता था कि इस प्रतियोगिता में पहले आने वाले को एक तोफा दिया जाएगा जो उन्हें सम्मानित करेगा।
आज के दिन थोड़ी गर्मी थी, लेकिन अजय को शांति और फ़िक्र महसूस होती थी। एक काली रेशमी कुर्ती में बदलकर वह अपने दोस्तों के साथ रैली में जल्दी से शामिल हो गया। वह दोस्तों के साथ भागते हुए उत्सव की जोरदार धुन सुनते हुए पुलिस के पास भीड़ लगा दी। वह यहां पर पहुंच गए थे।
पुलिस ने उन्हें कुछ देर करने दिया और फिर उन्हें भेज दिया। अजय और उसके दोस्त अपने पास उनके साथ कुछ युवाओं को देखते हुए उनसे जुड़ गए। उन्होंने अजय की ताकत देखी और उसे अपने साथ बिठाने का इरादा किया।
बाद में जब वे गांव लौटे तो अजय के मन में गुमशुदगी के खयाल आने लगे। वह देखता था कि वह वहाँ से गुमनाम नहीं रह सकता है। वह अपने दोस्तों से बात करने लगा लेकिन उन्होंने उसे ध्यान नहीं दिया।
वह गांव के आसपास तहल करके खोज रहा था जब उसने एक वृक्ष के नीचे एक दफ़्तर देखा। वह अपनी छुट्टियों के लिए जानता था कि वह दफ़्तर कुछ दिनों के लिए बंद होने वाला है। चारों ओर देखने के बाद स्वयं को गमगीन न करते हुए अजय ने दफ़्तर में प्रवेश किया।
दफ़्तर के भीतर एक स्वच्छंद आकाश प्रतीकवत हो रहा था। वह आंखें बंद करके अदरक और मसाले की खुशबू ले रहा था। उसके आसपास के बुक्रों, सीडी, कासेटें, रेडियो-सीटें के सामान ने उसे दुनिया से अलग खुश्बू कर दिया।
इस दफ़्तर की स्थिति से पता चलता था कि यहाँ मुश्किल से कोई व्यक्ति आता होगा। अजय ने आगे बढ़ते हुए भी ध्यान बरकरार रखा। उसने देखा कि एक शख्स अपनी कमरे में सो रहा है। अजय ने अपने दोस्तों से बात छोड़ दी और उसके उपर जाकर एक दस्तावेज़ क्रश फ़ाइल में से बाहर निकाला।
बिना किसी नियमित सबंध जोड़ने के यहाँ डेंगी का सिरदर्द होने लगा। उसने अपने दोस्तों को बताया तो वे राइटिंग की प्रणाली और रोजगार योजना के बारे में बताने लगे। अजय को यह सब बहुत आसान लग रहा था। वह कोशिश कर रहा था कि उसे दोबारा यहाँ आने का मौका मिलने पर वह लोग यह काम कर सके।
अजय और उसके दोस्तों ने वहाँ थोड़ा समय बिताया और फिर उस मकान को सुबह चले गए। वह पूरे घर के लिए आदर्श बनता गया था। उसने अपने दोस्तों से कहा कि अब उन्हें उस दफ़्तर से हटने का वक्त हो चुका है।
उसरस वहाँ से निकल जाने के बाद भी अजय का मन नहीं लग रहा था। उसके मन में एक अजीब सी तड़प थी। वह अहसास करने लगा कि उसके पास अभी जिंदगी में एक लक्ष्य नहीं है। वह ध्यान नहीं कर पा रहा था कि उसे जिंदगी के साथ साथ जल्दी से गुमशुदगी भी मिल जाएगी।
उसने कई दिनों तक यह सोचा कि क्या करना है, लेकिन कुछ भी नहीं सोच सका। कुछ दिनों के बाद उसे इस बारे में समझ में आ गया कि उसे एक मिशन की आवश्यकता है। वह फिर से उठी बैठी।
उसे एक घंटे का समय लगा कि उसे क्या करना चाहिए और उसने एक सर्वे में भी हिस्सा लिया। तब उसे यह लगा कि वह लोगों की मदद कर सकता है जो खुशियों और उमंगों से दूर होते हैं।
उसने अपनी नई लक्ष्य तलाशना शुरू कर दिया और अपनी स्पष्ट दिशा के साथ मंजिल की तलाश में भटकता रहा। चुनौतियों और समस्याओं से लड़ते हुए उसने अपने जीवन में नया मतलब पाया।
उसने वहाँ से नौकरी छोड़ दी और एक अनुदान के साथ अपना एक प्रतिष्ठित अकादमी शुरू की। उसे रोजगार प्रशिक्षण, कार्यालय प्रशिक्षण, औपचारिक शिक्षा ट्रेनिंग और बीटेक्निकल शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को मदद करना पसंद था।
अपनी जीवन मंत्री होने के साथ अजय ने अपने प्रति के साथ काफी उपलब्धियों को हासिल किया। वह एक सफल व्यक्ति हुआ जो हमेशा से आगे रहता रहा।
इस तरह अजय ने गुमशुदगी को खोजकर अपने जीवन की मुश्किल यात्रा से कुछ भी पाया था। उसका सफर उसे एक नई दिशा देने वाला था और वह अपने जीवन का अपनी खुशियों की तलाशी को जारी रखता रहा।
इस एक दिन की कहानी ने हमें सबक सिखाया कि हमेशा अच्छी तलाश बनाए रखना चाहिए। इसे खोजने के लिए हमें सकारात्मक होना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में सफलता की ओर आगे बढ़ सकते हैं।