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बच्चों की मर्ज़ी एक छोटे से गांव में, एक बड़ी

Title: बच्चों की मर्ज़ी

एक छोटे से गांव में, एक बड़ी से बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी थी। गांव के बड़े बड़े लोगों के बीच में मध्यवर्ती के रूप में रहने वाला जो कोई भी चीज कुछ भी विचार करके करता, लोग उसे नजरअंदाज़ कर देते थे।

एक दिन सभी इधर उधर अपनी अपनी काम में मस्त थे तभी एक बच्चा गांव के रसोई चम्मचों का ढेर आखिर से समाप्त करते हुए वह शुरुआत करता है “आजकल मुझे लगता है कि बड़ो को हमें खुश करना चाहिए, ऐसा क्योंकि वे हमसे सब कुछ जानते हैं।”

बच्चे की बात कुछ अलग सी थी, सब कुछ सुन कर लोग बड़े अचंभित हो गए।

फिर एक और बच्चा आकर बोलता है “हमें यह समझना चाहिए कि हम बड़ों को कुछ नहीं सिखा सकते क्योंकि हम तो सब कुछ मेहंदी के टिके लगाकर सीखते हैं।”

एक और बच्ची आगे आती है और बोलती है “यह हमारी मर्ज़ी होनी चाहिए कि हमें भी हमारे दुनिया में प्रहारित की जाए और हमें भी सम्मान का एहसास हो।”

देखते ही देखते, समूह में बातों का धमाका हो गया और छोटी छोटी बच्चियों और बच्चों ने सारी बड़ों को झकझोर कर रख दिया।

आखिरकार, गांव के हर एक व्यक्ति ने समझ लिया कि इस गांव का नया माहौल निर्माण करना होगा। बच्चों के शब्दों से ही सबकुछ हो गया।

सबके समस्याएं ठीक हुई और सब एक-दूसरे के साथ दिन रात बिना नाराजगी और दुश्मनी के रहने लगे। अब उन सभी के बीच में प्रेम का वातावरण हो गया था और उन्होंने समझा कि वे बच्चों के इस महत्वपूर्ण संदेश से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

बच्चों की मर्ज़ी से यह गांव एक महान उदाहरण बन गया है। यहां के लोग अब एक दूसरे के सुख-दुःख में साझा होते हैं और प्रतियोगिता के बदले मिलखुलकर लड़ते हैं।

बच्चों ने अपनी मर्ज़ी से गांव का नया समीकरण दिया था और अब लोग उन्हें सम्मानित करते हैं और उनकी ओर ध्यान देते हैं। यह बताता है कि बच्चों की मर्जी हमारे जीवन में कितना अहम हो सकता है।

इसे छोटे कदमों से शुरू करें, और सिद्ध करें कि बच्चों के आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए। जानिए कि उनकी मर्जी क्या है और उसे केंद्रित करके संबंधों को सफल बनाए रखें। यदि हम बच्चों की मर्जी समझते हैं तो सामाजिक और आर्थिक विघटनों के साथ-साथ हमारे बच्चों को प्रभावित होने से बचा जा सकता है।

आखिर में, बच्चों की मर्यादा का ध्यान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है और हमें उनके सभी मांगों और आवश्यकताओं को अधिक महत्व देना चाहिए।

कागा जी

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