चांदनी की लाट और उसकी नकली खोज
एक गांव में एक बड़े और सुंदर मकान में रहने वाली लड़की चांदनी रहती थी। उसके पास सभी सुख सुविधाएं थीं मगर थोड़ी नाकारा सी दिलचस्पी उसे अजीब लगती थी। बड़ी होते हुए भी वह अगली क्लास में उतनी ही खुश रहती जितनी बचपन में रहती थी। चांदनी को उस गाँव में हमेशा लोग अलग देखा करते थे क्योंकि चांदनी की माँ बहुत स्वतंत्र फैशन डिजाइनर थी और उनके परिवार में उच्च शिक्षा की कोई परंपरा नहीं थी।
एक दिन, जब चांदनी सुबह उठी तो उसने देखा कि उसके पास बस्ता में भारी भरकम लाट खड़े है। चांदनी ने उसे उठाया और देखा कि सभी लोग चांदनी को अलग अंदाज़ में देख रहे हैं। वह सोचने लगी कि आज इस लाट को क्यों लाया गया है। क्या इसकी नकली खोज की जा सकती हैं? यही सोचते हुए वह उसी रात कुछ कागज़ लेकर अपने कमरे में लुप्त हो गयी।
अगले दिन सभी लोगों ने उसे देखते हुए वह हँसती रही। इसी तरह यही हाल तेजधारी, छलांग-दौड़, करों से भरी नल, कुछ इस तरह के कई खेल के साथ होता है। जब तक कोई उसकी नकली खोज नहीं करता, तब तक वह खुश थी।
चांदनी को मालूम था कि इसकी नकली खोज के लिए वह काफी प्रयासशील होना पड़ेगा और उसे तत्काल कुछ करना होगा। उसे सोचने में समय नहीं लगा, इसलिए उसने अपनी माँ से बात की जो उसे बता दी कि किताबों में इस लाट की नकली खोज के बारे में लिखा हुआ है। चांदनी ने सीखी और फिर उसने अपनी दोस्त सोनिआ से भी बात की। सोनिआ ने चांदनी को सलाह दी कि अगली नकली खोज के लिए उसके पास अगले बारसात के समय लाइट इनफोर्मेशन से लाइट करवा देना चाहिए।
सोनिआ की सलाह का प्रभाव चांदनी पर पड़ा और भविष्य में होने वाले नकली खोज के लिए उसने अपनी तैयारी शुरू कर दी। सभी लोग उसके उसकी नकली खोज को देख रहे थे जैसे शब्द-भेदों को आवाज दे रहे हों।
उस दिन कुछ भी ना हुआ। लेकिन चांदनी के मन में सवाल था कि उसकी नकली खोज क्यों नहीं हुई? अगले दिन वह फिर से तैयार होकर गाँव में लाट को देख रही थी। फिर उसे एक वक्त कुछ लगा और वह लाट के साथ अपनी माँ के पास चली गयी। माँ ने उससे सवाल पूछा और चांदनी ने बताया कि वह नकली खोज नहीं कर पा रही है।
उसकी माँ ने उसके लिए एक जादुई तरीका बताया- “बेटे जब आप अकेले हो तो ध्यान से समझो और उनके पीछे जाकर उनसे बात करो। इससे आप उनके मंत्रो व तंत्रो से परिचित हो जाओगे और पता चल जाएगा कि उन्हे क्या पसंद है। उसके बाद दूसरे दिन रात को, तुम्हे एक बड़े दुःख का सामना करना है।”
चांदनी ने अपनी माँ की बातों को सुना और वह तुरंत लाट को ढूंढने के लिए चली गयी। उसे लगता था कि लाट हर कने के पीछे होगा। चांदनी के सवाल का जवाब उसे बड़े ही जल्द देना पड़ा। चांदनी को पता चला कि उस व्यक्ति का नाम सोहराभाई है और उसे मन्दिर की सफाई का काम दिया जाता है। वह बच्चों के साथ खेलता था और इसी बात से उसे प्रभावित होने लगी।
अगली नयी खोज के लिए चांदनी लाइट इनफोर्मेशन से लाइट जलवाने वाला को भी मान कर देखती थी। यह खोज भी न होने से उसका दिल टूट गया था। सोनिआ ने उसे पुनरावृत्ति पर ले जाने का फैसला किया जहाँ उसे उसके सभी ज्ञान के साथ एक नयी परीक्षा देनी पड़ेगी।
परीक्षा देते हुए चांदनी ने यह जाना कि नकली खोज करने के लिए वह असमर्थ है लेकिन जब तक वह सर्वश्रेष्ठ है, तब तक उसकी अफवाहें होती रहेंगी। इस प्रकार, चांदनी ने अपनी नकली खोज को भूल गई और उसने इस बात को स्वीकार कर लिया कि नि:स्वयं, पता नहीं क्यों होता है जो होता है लेकिन वह उस चौंकाने वाली समझ में आ गई जो उसे अलग बनाती है।
जिस दिन उसने अपनी खोज को छोड़ दिया, वह उसे मनताप करने लगी क्योंकि उसने समझा नहीं था कि उससे क्या चाहिए। परंतु, उसके पास एक संत आया और चांदनी को बताया कि सड़क किस स्थान से गुजरती है। यह उसे इतने समझ में आया कि वह मान गयी कि लाट की नकली खोज नहीं हो सकती है और वह हमेशा से उतनी ही अलग थी जितनी कि वह अब है।
आखिरकार, चांदनी को इतना समझ में आ गया कि उसे अपनी नकली खोज को छोड़ देना चाहिए और वह अपनी असली छवि से खुश होना चाहिए। अब वह खुशी से लाट को तोड़ देती है। उसने बाद में अपने परिवार से उत्तराखंड घूमने जाने के लिए कहा और वहाँ जाकर वह बुरी एवं अच्छी एक नई बातें सीखती रही।
इस प्रकार, चांदनी ने लाट की नकली खोज से बचने के लिए आत्म-निर्णय और अपने पैरों पर खड़े हो पर गए।