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स्कूल वाली मैडम

पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया!

सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं –
“सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है,
मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ।
आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा। आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।”..

बेचारे पापा क्या करते।
आदेश के पाबंद… तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए।

सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी।

पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं -”आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।”

पापा ने बेटी की तरफ देखा और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए।

“मैम बहुत गुस्से में लगती हैं” – बेटी ने धीरे से कहा।
“तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है” – उसी तरह पापा भी धीरे से बोले।
“पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं।” -बेटी ने अपना बचाव किया।
“मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।”–पापा खुद को तैयार करते हुए बोले।

वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं – “हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।”

पापा किसी तरह उस शहद भरी मिर्ची सी आवाज के पास पहुंचे। और बेटी पापा के के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।

मैम- देखिए! आप की बेटी की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिपोर्ट देखिए और बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये।
… मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी..

मैम- पहले इंग्लिश की कापी देखिए.. फेल है आप की बेटी।

… पापा ने एक नजर बेटी को देखा, जो सहमी सी खड़ी थी.. फिर मुस्कुरा कर बोले –मैम, अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस उम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।

… इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था…

मैम- “अच्छा! और ये देखिए! ये हिंदी में भी फेल है। क्यों?”

… पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें साॅरी बोल रहीं हों…

पापा –मैम, हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हिंदी बोलने वाला नहीं होगा…

…..पापा की बात मैम बीच में काटते हुए बोली– अच्छा… तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो….

इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले..– “और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता… मै तो….”

मैम चिढ़ते हुए बोली – “आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये…फेल नहीं

…अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आप की बच्ची कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गई?”

…. पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले – “ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।”

… मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था…
वो कापियां समेटते हुए बोली- ”सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन फेल होते थे।”

पापा चुपचाप थे…

मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई – “ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहती, बात करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।

पापा ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले – “वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।”

मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।

पापा – फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।

मैम ने इस बार बेटी की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।

…. गणित का नम्बर और विषयों से अलग था…. 100%…..

मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पापा पूरे जोश में थे।
पापा – हाँ तो मैंम, मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:
मैम- (धीरे से) मैं!
:
पापा – और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:
मैम- “मै”
:
पापा – और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
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मैम- वो भी “मैं”
:
पापा – अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:
मैम कुछ बोल पाती, पापा उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए…और बोले
– “मैं”…
:
मैम – (झेंपते हुए) हां पता है।
:
पापा- “तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना। बच्ची है। शरारत तो करेगी ही।”
:
मैम तिलमिला कर खड़ी हो गई और जोर से बोलीं-“””मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटी की अच्छे से खबर लेती हूं”””!!!

कागा जी

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