Story Title: दोस्ती का फलसफा
एक बार, एक छोटे से गांव में, दो बच्चे रहते थे जो एक दूसरे से अच्छे दोस्त थे। उन्होंने अपना बहुत सारा समय साथ में बिताया और एक चीज उनमें बेहतर से बेहतर बना दी थी, वह था दोस्ती का फलसफा।
जैसे ही ये दोस्त एक दूसरे को मिला, ये शुरू कर देते थे, “कैसे हो दोस्त?” और फिर दोनों मिलकर खेलने या बातें करने के लिए निकल जाते थे। उनकी दोस्ती ऐसी थी कि अगर एक दिन किसी एक के पास खराब मौसम के कारण स्कूल जाने की सम्भावना नहीं होती तो दूसरा निश्चित रूप से अब उसे स्कूल जाने के लिए आ जाएगा।
एक दिन, बारिश के कारण स्कूल बंद था। लेकिन एक दोस्त का घर स्कूल के बहुत करीब था और दूसरे का घर दूर था। अब दोनों दोस्त को स्कूल जाना समझ में नहीं आ रहा था। उन्होंने एक-दूसरे से कहा कि “हम क्या करेंगे”? दोस्त बेलगाम होंगे कि अब कैसे उन्हें स्कूल आएगा। फिर एक नया फलसफा उन्होंने तैयार किया – “अगर एक से घर नजदीक हो और दूसरे का थोड़ा दूर हो तो एक दूसरे के घर जा सकते हैं।”
एक दोस्त ने कहा, “हाँ बिल्कुल, जब हम साथ होते हैं, हम नहीं सोचते कि यह कहां से या कितना दूर है।” बस, ऊपर वाले की कृपा से, स्कूल जाने का सबसे आसान तरीका हो गया।
वे अब एक दूसरे से और ज्यादा मिलने लगे थे, क्योंकि अब उनका जीवन और सहज और खुशहाल हो गया था। वे एक-दूसरे के उत्साह के साथ थे और उनके जीवन में खुशियों की रेखा थी। सभी के नजरों में, उनकी दोस्ती केवल एक फलसफा नहीं थी, बल्कि एक बड़ा संदेश व्यक्त करती थी। यह जीवन की खुशियों को बढ़ाती थी और आसानी से जीवन के हर पल को खुशी से भर देती थी।
दोस्ती का फलसफा दूसरों को भी गहरी अनुभूति देता है और उन्हें जोड़ता रहता है। यह दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो एक व्यक्ति को बेहतर बनाता है। यह लोगों को देश-विदेश, जात-पात और व्यवसाय-व्यवस्था से बांधने से बचाता है और सबके लिए समान होता है।
दोस्ती का फलसफा हमेशा एक संदेश देता है कि जीवन की खुशियों के लिए, जब हम सब साथ मिलकर काम करते हैं, तब हम रोमांचक और खुशहाल जीवन जी सकते हैं। यह एक संदेश है, जो अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचना चाहिए।