Story Title: बुराई का अंत
एक समय की बात है। अपनी लोकप्रियता को संभालते हुए राजा विक्रम ने एक जश्न आयोजित किया जिसमें उन्होंने सभी लोगों को रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर ऑफर कूट खेलने का आह्वान दिया।
ऑफर कूट में अगले स्टेप से पहले प्रत्येक खिलाड़ी को बाइबल में से एक शब्द दिया जाता है।
रानी आदर्शा और उनका बेटा वैभव भी उस जश्न में शामिल थे। इस बार रानी आदर्शा ने इस खेल में सम्मिलित होने से इंकार कर दिया। वे अपने बेटे के साथ अकेले घर में थे जब एक पुराने महल में अन्य कुछ लोगों ने ऑफर कूट शुरू किया।
वैभव उत्साहित नहीं था। यह खेल उनके लिए पुराना हो चुका था। वे लुक्धक शब्द के साथ अपना खिलवाड़ शुरू कर दिया। वे उस शब्द से अनेक बारों को हराने वाले थे।
एक दिन वे बहुत दूर तक चले गए थे। उन्हें आगे बढ़ना था, लेकिन उन्होंने एक गुफा में एक पास वाले फिरउन्दे को देखा।
फिरउन्दे वह आदमी था जिसने हमेशा खेल नहीं खेलने वालों को इंस्पायर किया था। उसके लिए जीत या हार धर्मनिरपेक्ष था।
फिरउन्दे ने वैभव से कहा, “तुम्हारी जीत बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन उसे बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है।”
वैभव दिखावे के लिए नहीं खेल रहा था। दूसरे शब्दों में, वे सकारात्मक नहीं थे। वे सोचते थे कि इस खेल से एक अलग दुनिया से आया वह व्यक्ति क्या कहता है?
फिरउन्दे ने कहा, “यदि तुम सामान्यतया अच्छे हो तो बुरे लोगों को भी माफ करो।”
उनके शब्दों को वैभव ने समझ लिया था। उन्होंने अपने बाइबल में अगला शब्द पढ़ा। वह ‘सजा’ था। थोड़ी देर बाद वे गुफा से बाहर आए और एक पुराने महल में उन्होंने मंजिली विरोधी टीम जीता।
इस खिलौने के एक निर्णय था कि सज़ा राजा की चुटकी खा सकती है, इसलिए सहमति पर सज़ा प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, “उस क्रिमिनल को राजा की चुटकी माफ कर दो और उसे आज के जश्न में आमंत्रित करो।”
राजा अपने वकील से इसे स्वीकार करने के लिए कहा और उसके बाद वे दोनों उस महल में जुड़े हुए थे जहां वो खेल रहे थे।
वहां उन्होंने उस अपराधी और फिरउंदे से मुलाकात की।
उसे तब सजा दिन क्या हुआ था जब उसने वह साजिश रचा था। वो समझ गया था कि वह उसे गुफा में प्रतीक्षा कर रहा था और टीम के खिलाड़ियों को ड्रोप करने को कह रहा था।
एक ओर जब रानी आदर्शा खुश थी कि उसने सारी समस्याओं से दूर खड़ा हो गया है, तो वह महसूस नहीं कर रही थी कि उसके बेटे के नायक इस पूरे खेल में वह सब कर रहे हैं तो भी खुश थे।
जश्न के बाद, वे दोनों वहां से घर के लिए चले गए। वैभव ने वहां जितने पाटक कर रखे थे उन्हें देखा।
उनकी आँखें खुल गईं। उन्होंने पहली बार महसूस किया कि उसकी जीत ने उस महल के अपराधी को बदल दिया था और वह नामुमकिन सज़ा से बच गया था।
उसकी जीत ने नहीं बल्कि उसका बुरा व्यवहार से मुक्त कराया था।
वैभव के मन में यह सवाल दबा था कि यदि उसने जीत नहीं की होती तो क्या होता।
शायद, उसकी जीत नहीं, लेकिन यह एक शब्द था जिसने उसने उस अपराधी को बचाया था।
वैभव के मन में बस एक ही चीज सबसे ज्यादा टिकी हुई थी कि सबके अच्छे कर्मों का असर किसी भी व्यक्ति के ऊपर पड़ सकता है।
बुराई की हार इस जश्न में हो गई थी और अब वैभव एक सकारात्मक व्यक्ति बन गया था जिसने हमेशा दूसरों को बचाने के लिए तैयार रहेगा।