Story Title: माँ का दुलारा बेटा
एक गांव में एक आदमी रहता था जिसका नाम राम प्रसाद था। राम प्रसाद की पत्नी उनके साथ रहती थी और दोनों के दो बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी।
बच्चों में राम प्रसाद का बेटा सबसे ज़्यादा प्यारा था। जैसे ही वह अपने बेटे को देखता था, उसका चेहरा खुशी से चमक उठता था। उसे अपने बेटे से कुछ नहीं चाहिए था। उसके लिए उसका बेटा उसकी जान से भी प्यारा था।
एक दिन, जब राम प्रसाद की पत्नी और बेटी गांव से बाहर हुई, राम प्रसाद अपने बेटे के साथ घर पर रहा। एक बड़ा साँप कीचड़ से निकलकर राम प्रसाद के घर में घुस गया था। साँप बड़ा था और जानवर देखने में डरावना लग रहा था।
राम प्रसाद ने देखा कि साँप उसके बेटे को देख कर उत्तेजित हो गया है। बेटे की सुरक्षा को देखते हुए उसने साँप को बग़ैर कुछ सोचे साँप के पास जाने के बजाय जल्दी से अपने बेटे को बहार ले जाने का फैसला किया।
राम प्रसाद अपने बेटे को घर से निकालने के लिए तैयार हो गया, लेकिन उसका बेटा उससे नहीं गबराया था। उसने साँप को धीरे-धीरे अपने पास बुलाया और उसे मित्र बनाने का प्रयास किया। साँप उसे समझ गया था और वह बेटे के साथ खुश था।
राम प्रसाद ने यह देख कर अपने बेटे का हृदय वर्माना हो गया। उसने देखा कि उसका बेटा बड़ा हो गया है और अब वह आधी से अधिक उसकी तरह है। वह जानता था कि उसका बेटा सबकुछ कर सकता है।
वह फिर साँप के पास गया और उससे मिला। दोनों ने खुशी से देखा कि दूसरे के साथ खेल सकते हैं।
राम प्रसाद जानता था कि उसका बेटा खुश था। जब उसकी पत्नी और बेटी वापस आईं, तो वह राम प्रसाद के अपने बेटे की खुशी देख सकती थी।
उसका बेटा अब बड़ा हो गया था और उसके साथ साँप भी खुश था। राम प्रसाद जानते थे कि उनका बेटा सबसे ज़्यादा प्यारा है।
वह दूसरों को भी यह समझना सिखाते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करना ही नहीं बल्कि उन्हें समझना भी बहुत ज़रूरी है। उसका बेटा उसके बहुमुखी विकास का एक उदाहरण था जिसने उसे यह बताया कि एक व्यक्ति कितना अधिक शक्तिशाली हो सकता है जब वह अपने बच्चों से प्यार से संबंध रखता है।