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अजीत की जोशीली उम्र अजीत एक बहुत ही जोशीला और उमंगवाला

अजीत की जोशीली उम्र

अजीत एक बहुत ही जोशीला और उमंगवाला लड़का था। उसे जिसका भी दिल चाहता वो करना बड़ा पसंद था। उसके परिवार और दोस्त उसके झुकने वाले स्वभाव से थोड़े ही परेशान रहते थे। लेकिन अजीत इससे परवाह नहीं करता था। वो हमेशा नए चैलेंज की तलाश में रहता था। इसलिए एक दिन उसने अपने दोस्तों से एक बड़ा चैलेंज लिया। उसने बताया कि वो एक साल की उम्र में एक विदेशी भाषा सीख जाएंगे।

अजीत उस समय कक्षा १० में था और अगले साल सीनियर स्कूल में प्रवेश करना था। उसे और उसके दोस्तों को लगा कि इस उम्र में एक नई भाषा सीखना मुश्किल होगा। लेकिन अजीत ने इससे परे सोचा था। उसने इंग्लिश में बहुत ही शानदार अंक प्राप्त किए थे और उसे कुछ अलग करना था।

अजीत ने अपना चैलेंज सार्थक बनाने के लिए लोगों के सामने अपनी प्रगति का चंदा देना शुरू किया। लोग उसे जोश से अभिव्यक्ति करते थे और आशा करते थे कि उसे सफल बना देखेंगे। उसके दोस्तों ने इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप दिया और सभी उसे “अजीत का सपना” कहने लग गए।

अपनी इस नई मिशन के लिए अजीत ने उस भाषा की एक किताब खरीदी और उसे एक दोस्त को समझाने लगा। उसने धीरे-धीरे समझा और उसके दोस्त ने धीमे-धीमे उसे बोलना आरंभ किया। उसने स्कूल से भी उस भाषा के टीचर से मदद ली। उसे पता नहीं था कि कुछ महीनों में उसका सपना निश्चित होगा या नहीं।

इसी दौरान उसे एक संग्रहालय में विश्व इतिहास से जुड़ी एक विदेशी भाषा की चलती हुई मदद मिली। उसने संग्रहालय के स्टाफ से पूछताछ की और उसमें मदद मिली। उसने अधिक जानने का फैसला किया और उसकी मदद से उसकी भाषा में विश्व इतिहास से जुड़ी बहुत सी चीजों का अध्ययन करने लगा।

वह सभी चीजों को याद करने की कोशिश करता और अपने सपने को पूरा करने के लिए जुनून से मेहनत करता था। उसके ऊपर से दबाव बढ़ता गया था, लेकिन वह इसे हराना नहीं चाहता था।

उसने उस विदेशी भाषा में एक स्वच्छता अभियान के बारे में सुना और इसे अपने ईमानदार और सक्रिय मित्रों के साथ निगरानी करने के लिए तैयार हो गया।

अजीत ने पिछले सप्ताह में मुंबई चले गए थे। वह एक निर्मल इंसान की तरह था – कम सामान लिए हुए, नीचे के पोटली केवल भीरों जैसे हाथों से उठाई गई थी। उसे देखकर गहरा दुख हुआ। वह जल्दी से समझता गया कि उन्हें अपने सपने के बारे में सोचने में कोई समय नहीं होता। अजीत ने इसे सफल करने के लिए दृढ़ संकल्प किया। वह कठिनाई की भाषा को भलीभाँति सीख लिया था और अब वह इसे सफलता प्राप्त करने के लिए जुट गया था।

उसे अपने मित्रों ने एक उत्सव का आयोजन किया जिसमें चेहरों पर खुशी और आनंद का अभाव नहीं रहा। अजीत ने अपने जीवन की पहली उच्च शिक्षा पर महत्वपूर्ण प्राप्ति की थी।

अब उसको इस नई भाषा को समझाने के लिए एक मुंबई के मैदान में उतरना था। वह अपने दोस्तों से साथ गया था जो जानते थे कि वह उस भाषा को सीख चुका था। उन्होंने उसमें वह समझाया जो वह सीख चुका था। वह मुंबई के मैदान पर उतर गया और अपनी बात कहने लगा।

कुछ मिनटों में, उसने लोगों को यह बताया कि वह एक साल में एक विदेशी भाषा सीख गया था और उन्हें इसे सीखने में अपने दोस्तों की मदद चाहिए थी। उसने लोगों को यह बताया कि वह इस उम्र में इससे अधिक नहीं कर सकता था और इसलिए उसने अपना सपना पूरा करने के लिए धीरज और मुश्किल परिश्रम किया।

लोगों ने उसे बहुत ही जोश से अभिवादन किया और अपनी प्रगति का उल्लेख करते हुए उसे स्मृतियों के साथ उपहार देने के लिए विनम्रता से अनुरोध किया।

उसका सपना साकार हो गया था। उसे पता नहीं था कि यह खुशी उसे कब तक याद रखी जाएगी। वह चाहता था कि सभी लोग अपने सपनों के लिए जुटते रहे और उन्हें सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास करें।

अजीत की जोशीली उम्र इस संसार में कुछ करने के लिए एक उपलब्धि होती है। वह अब हमेशा मेहनत करता है और अपने दोस्तों की मदद करता है ताकि वे भी अपने सपनों को साकार कर सकें। उसकी भाषा के संकल्प की मदद से, वह सीखने के लिए उत्सुक है। उसका सपना होने से पहले लोगों के बीच उन्हें एक सफल उदाहरण दिखाना होगा।

कागा जी

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