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अधमा तो हम सब हैं, परमात्मा सिर्फ एक हैं

Title: अधमा तो हम सब हैं, परमात्मा सिर्फ एक हैं (We are all sinners, but God is only one)

जीवन में कई बार हम सबको आवश्यकता होती है एक साथ रहने की, जुड़ने की और सहयोग करने की। परंतु हमारे बीच बड़ी अन्तर होता है, हम भेदभाव और असंतोष के कारण उलझ जाते हैं। हम एक दूसरे से अलग नहीं बल्कि एक हैं। इसलिए हमें परमात्मा को जानना चाहिए जो हमें एक बनाता है।

हम सब अधमा हैं। हम अपने कर्मों के कारण खुद को योग्य नहीं समझते कभी कभार हमारा जीवन कई बार असफल हो जाता है। हम संघर्ष, तनाव, चिंता, अनिश्चितता आदि से परेशान होते हैं। परन्तु परमात्मा महाकारुणिक हैं जो हमेशा आपके लिए तयार रहते हैं। आपको सबके बीच मजबूत बनाने के लिए और हमेशा आपके ऊपर निर्भर रहने के लिए।

जब स्वर्ग के पंडित केसरी उत्तरमीमांसा से पूछते हैं कि क्या वस्तु बताई गई है जो आत्मा को दुख से मुक्त कर देती है, तब केसरी उत्तर देते हैं कि सबसे महान बात यह है कि जब आप कुछ करते हैं तो यह सोचकर नहीं करते कि वह आपको फल मिलेगा। फल आये या नहीं, यह आपके कर्मों की वजह से नहीं बल्कि समय और परमात्मा की इच्छा की वजह से होता है।

हमें परमात्मा को जानने के लिए उसकी भक्ति और नाम जपना जरूरी है। भक्ति के द्वारा हम परमात्मा के साथ जुड़ सकते हैं। जब हम परमात्मा के नाम का जप करते हैं तो हमें मन के उत्तर में एक शांति, संतुष्टि और शक्ति मिलती है।

जब हम परमात्मा को समझते हैं तब उसे समझने के लिए हमारी भाषा की आवश्यकता नहीं होती, हम उसे वाक्य या शब्दों में नहीं बता पाते। परन्तु जब हम परमात्मा के साथ एक हो जाते हैं, तब हमें वह समझ में आता है।

परमात्मा सबके भीतर होते हैं, लेकिन वह सबसे ऊँचे स्थान पर निवास करते हैं। उनके समीप आकर हमें आत्मा को स्पष्ट रूप से देखने में सफलता मिलती है।

अद्भुत सच्चाई यह है कि हम सब एक जाति के होते हैं, हम सब एक ही परमात्मा के बच्चे हैं। हम सब एक हृदय में रहते हैं, जो हमेशा आपको सारे लोगों के साथ जोड़ता है। इसलिए यह भूलना नहीं चाहिए कि परमात्मा हमारा स्वरूप ही हैं। एकता, सहयोग, और परिश्रम हम सबका रास्ता बनाता हैं, जो हमें एक परमात्मा के साथ जोड़ता हैं।

अंतिम शब्दों में, हम सब जीवों की समस्याएं एक जैसी हो सकती हैं, किन्तु हमारे ऊपर जो चीजें होती हैं, जैसे कि परमात्मा का आशीर्वद, उनका कृपालुता सबको जोड़ती है। यदि हम परमात्मा को ध्यान में रखें तब प्रत्येक भावना और कर्म हमें उस उद्देश्य के प्रति ले जाते हैं जो हमारा स्वरूप हैं, जो हमें परमात्मा से जोड़ता हैं, और जो सबको एक साथ ले जाता हैं।

धन्यवाद।

कागा जी

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