कविताजी की बड़ी विदाई
यह कहानी है उन दिनों की, जब मेरे पास एक मुलायम और प्यारी नन्ही परी रह रहती थी। हम दोनों की दोस्ती इस कविता के जरिए शुरू हुई थी। कविता, यहाँ तक कि उसकी माँ भी हमारे बीच की बातें सुनकर हंस लेती थी।
कविता एक आदर्श बच्चा थी। उसकी लिखावट बहुत सुंदर थी और उसकी अवाज मधुर थी। वह कविता पढ़ने और लिखने में बेहद प्रवीण थी। हर दिन कविता मेरे पास आकर बहुत सारी नयी कविताएँ लेकर आती थी और हम उसके सभी कवितायों को संगठित करके बनाये गये एक कविता संग्रह को पब्लिश करने का सपना देखते थे।
लेकिन जीवन और कठिनाइयों की वजह से मेरे पास इतना समय नहीं होता था कि मैं उस कविता संग्रह के लिए वक्त निकाल सकूँ। इस समस्या का हल किसी तरह कर लिया जाना चाहिए था और कविता की मां ने मुझसे एक बार इस मसले का समाधान करने को कहा।
मैंने कविता की बात मानी और वक्त की समस्या का समाधान ढूंढ़ने की कौशिश में घर-घर घूमना शुरू किया। घूमते समय मुझे एक बड़ी दूकान नजर आई। वह दूकान पुरानी किताबों से भरी हुई थी। मैंने वहाँ अपनी कोशिश जारी रखी और एक पुरानी किताब खरीदी।
घर लौटते ही मैंने वह किताब खोली और देखा कि वह किताब कविताओं से भरी पड़ी थी। उसकी आँखों में एक रौशनी देखी दी गई थी और उसने रूबरू की कविता के साथ अपनी सहभागिता दर्ज की थी। उस लम्हे में मुझे यह ज्ञात हुआ कि कविता ने हमेशा सीख ली हद्दें पार करने की बातें करनी होंगी।
मेरे पास अब वक्त कम था और मैंने निश्चित किया कि मैं और कविता दोनों साथ में मिलकर नयी कविताएँ लिखना शुरू करेंगे। हमने हर दिन थोड़ा-थोड़ा वक्त निकालकर अपने ख्यालों को व्यक्त करने की कोशिश की।
हम अपनी कविताओं को एक नए रूप देने के माध्यम से इस दौर की भाषा और विचार प्रणाली को सप्रथा काफी मोटा बता दिया। हमारा कार्य उस समय काफी भय और जटिल था। हम नई कविताओं को उजागर करने के लिए रात के दो बजे तक काम करते थे और फिर सुबह सोते थे।
धीरे-धीरे हमारी कविता में एक स्वादिष्ट नया तत्व आने लगा और हमारी क्षमता में वृद्धि हुई। फिर आना हुआ वह दिन, जब हमारी कविता को छापने का मौका मिला। हमने उसे दरवाजे पर टंके और अपनी सच्ची मेहनत को सबके सामने प्रदर्शित करने का सोचा।
हम दोनों ने एक साथ अपीकरण किया और आवाज को मजबूती से दिया। धीरे-धीरे हम अपने केंद्र में आने लगे और लोग हमें ध्यान से सुनने लगे। हमारी विदा हो गई और हमने सबसे कहा कि हम अपनी सभी कविताओं को संग्रह करके पब्लिश करेंगे।
कविता के आँखों में एक अद्भुत चमक थी। वह खुशी से स्वयं को रोक नहीं पाई और हम सबसे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए और अपनी प्रमोशन करने के लिए अग्रसर हो गए। मुझे हर्ष और गर्व हुआ कि मैंने एक अद्वितीय कला कार को मदद करने में सफलता हासिल की।
विदाई के समय, कविता के माँ-बाप ने मेरे पास आकर कहा, “आपकी मदद के बिना मेरी बेटी कविता ने कभी उत्साह नहीं दिखाया होगा। आपने हम तक पहुंचने का रास्ता दिखाया है और इसमें आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपने हमारे जीवन को बदलकर दिखाया है।”
मेरे जीवन में यह एकमात्र कविता ही नहीं थी, जिसने मेरे और एक घर की रक्षा शक्ति के बीच रिश्ते की गतिविधियों को संघटित किया। मैं फक्र से उनका धन्यवाद स्वीकारता हूँ और यह लगातार धन्य हूँ कि उन्होंने मुझे अपनी बेटी की मदद करने का अदान किया।
यह थी कविता की बड़ी विदाई की कहानी, जो हम दोनों के दिल में स्थिर रहेगी। आज भी जब हम मिलते हैं, हम अक्सर हमारी पुरानी यात्राओं को याद करते हैं और बहुत मजा आता है। मेरे लिए यह उत्साहजनक निगाहें हैं, जब मैं एक इंसान को सही रास्ता दिखाने में मदद करता हूँ।