चंदा और स्वप्न
एक गांव में रहने वाली चंदा एक बहुत ही सम्मोहनी कन्या थी। उसकी माँ की मृत्यु के बाद, उसके पापा ने उसे बहुत ही प्यार और सम्मान से पाला था। तभी से उसका सपना था कि उसे एक सुंदर घर में रहना है और उसकी पूरी दुनिया में सबसे बड़ी सफलता होनी चाहिए।
उस वक़्त, चंदा की उम्र लगभग अठारह वर्ष थी, उसने बहुत अधिक कुछ सीखा था और उनके पास किताबें बहुत थी। सभी उसे बहुत ही समझदार और बुद्धिमान समझते थे। एक दिन उसे एक राजकुमार ने देखा और वह उसे बहुत ही अर्थपूर्ण लगा, चंदा एक संयमित तरीके से नाच रही थी, यह हर किसी को जल्दी ही खत्म हो जाता है, लेकिन वह संयमित तरीके से नाच रही थी इसने उसको कुछ अलग कर दिया। उसने उसे अपने साथ जाने का वादा किया और उसे उसकी मदद करने की दावत दी। चंदा उसे पसंद करती थी, लेकिन वह अभी नौजवान थी और उसे यह समझ में नहीं आया कि उसके यह सपने क्यों थे।
चंदा एक अच्छी शिक्षिका बनना चाहती थी और वह सभी बच्चों के लिए आईएएस की तैयारी कर रही थी। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह एक अधिकारी बन सकती है, लेकिन उसके पीछे सफलता का संग्रह होना चाहिए। वह एक सहायकर्ता के साथ जुड़ी जो उसे यह सब सिखाने के लिए मदद कर सकते थे। उन्होंने एक दूसरे से मुलाकात की और शुरूआत की।
चंदा ने उसे बताया कि वह किस रूप में संगठित रहने, अच्छा खाने-पीने और व्यस्त जीवन के साथ-साथ आईएएस की तैयारी करने में संयमित रह कर सकती है। वह दिन-रात मेहनत करने लगी और उसे नहीं लगा था कि यह संभव हो सकता है। दिन-रात की मेहनत उन्हें परिणाम देने लगी और वे सफलता की उँगली पर चढ़ गईं।
उस दिन जब वह आईएएस की परीक्षा देने गई, वह अपने दोस्तों से मिली थी जो उसे लगा कि उसे उसके सपनों का बच्चा देना चाहिए। वे अपने दोस्तों से मिल रही थीं जब राजकुमार उसे देखता है और उससे पूछता है कि “आप कहाँ जा रहे हैं?”। वह उसे बताती है कि वह आईएएस की परीक्षा देने जा रही है और उसका सपना यह है कि वह एक अधिकारी बन जाए।
राजकुमार उसे एक लाल लट्ठर देता है और कहता है, “अपने सपनों की ओर एक स्टेप बढ़ाने के लिए आगे बढ़ो।” वह अपने दोस्तों के साथ चलती है और परिक्षा देती है।
उस दिन के बाद, चंदा को यह पता चलता है कि उसकी परीक्षा अच्छी तरह से हुई है और उसे सलाह दी जाती है कि वह घर जाकर बहुत ही शांति से अपने प्रश्नों का उत्तर दे।
चंदा उस दिन से अधिक बुद्धिमान तरीके से सोचने लगी थी और उसे यह महसूस होता था कि वह अपने सपनों की ओर आगे बढ़ रही है। उसने गाँव में एक स्कूल खोला और सभी बच्चों को शिक्षा देने लगी। उसने अपने सपनों को उजागर करने के लिए काफी मेहनत की।
अंततः, उसका स्वप्न साकार होता है। वह एक बहुत ही सफल अधिकारी बन जाती है और उसने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर अपने सपनों को साकार करने के लिए गांव में बहुत ही लोकप्रिय हो गई।
यह सब कुछ उस लाल लट्ठर की वजह से हुआ था, जिसे राजकुमार ने उसे उपहार में दिया था। चंदा कभी भी उस बात को नहीं भूली कि ना केवल मेहनत बल्कि सफल होने के लिए थोड़ा संयम, मार्गदर्शन और एक उपहार बहुत कुछ बदल सकते हैं।