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दोस्ती का रंग इस कहानी का नाम आपके सामने दोस्ती

Title: दोस्ती का रंग

इस कहानी का नाम आपके सामने दोस्ती का रंग है। ये कहानी एक छोटे से गांव के दो मित्रों की है। गांव में रहने वाले हर बच्चे का दोस्त उसका पड़ोसी होता है। जब समय बिताते हुए बच्चे नौजवान बनते हैं, तब दोस्ती में एक नया सा चर्चा होता हुआ वे दोस्तों का रिश्ता इतना मजबूत हो जाता है की उनकी मित्रता का रंग लंबे समय तक चमकता रहता है।

एक ऐसे गांव में रहने वाले दोस्त रामु और श्यामु थे। रामु और श्यामु दोनों अपनी दोस्ती में बहुत मजबूत थे। दोनों एक ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। उनकी जेबों में कभी बहुत पैसे नहीं होते थे। हालांकि, उन्हें उनकी दोस्ती की कीमत समझ में आती थी।

एक बार, रामु और श्यामु के पास विद्यालय के बाहर तंबा बेचने वाला एक बंदर आया। तंबा बेचने वाले बंदर ने रामु और श्यामु से कहा, “दोस्तों, मेरे यहाँ से ज्यादा टंटी में कुछ नहीं है। मुझे इसे बेचने के लिए नहीं, बल्कि अपनी उम्र बढ़ाने के लिए कुछ पैसे की ज़रूरत है।”

रामु और श्यामु धार्मिक मान्यताओं से परिचित थे और जानते थे की सदा शुभ होने के लिए जानवरों पर प्रयास करना चाहिए। वे उन भोले-भाले बंदर की मदद करने ने सोचा जो अक्सर उनकी बातें सुनता था और उन्हें कभी असंतुष्ट नहीं करता था।

उन्होंने तंबे की एक ही थाली लगा कर उसे बच्चों में बेच देने के लिए तैयार कर दिया। चाय के ठेके में उन्होंने उसकी एक तस्वीर की बार्ड जो उसके गिरते हुए अंगूठे तक थी बनवा ली।

गाँव के बाकी बच्चों ने तंबे की महसूली के लिए कुछ लेने से इनकार कर दिया लेकिन रामु और श्यामु ने पैसे दिए और तंबे की एक थाली खरीद ली।

इसके बाद से, बंदर ने रामु और श्यामु का सबसे अच्छा दोस्त बन गया। वह उनके घर आता हुआ उनके साथ खाने का खाता रखता था। वे साथ में खेलते थे, बैठते थे, पढ़ने में मदद करते थे और उनके परीक्षाओं में अत्यधिक समर्थन करते थे।

रामु और श्यामु की दोस्ती का रंग इतना गहरा था कि उनके परिवार वाले उनसे पूछते थे कि तुम बंदर से थोड़ा-सा पैसा देने से इतनी क्यों परेशानी उठा रहे हो। लेकिन रामु और श्यामु उन्हें कुछ नहीं बताते थे। वे जानते थे कि वे अपने प्यार का सदुपयोग कर रहे थे।

कुछ वर्षों बाद, रामु और श्यामु विद्यालय से निकल कर अलग-अलग शहरों में जाते हैं। उनके बीच दूरियां बढ़ गईं फिर भी, उनके बीच की दोस्ती का रंग छत्रक की तरह चमकता रहा। वे आपस में बात करते रहते थे और कभी-कभी मिलने भी जाते थे।

एक दिन, श्यामु ने पत्रिका में पढ़ा कि लगभग तीन मुस्लिम प्रदेशों में जत्थों ने सामान्य लोगों पर हमले करने की योजना बनाई है। वह बहुत चिंतित हो गया क्योंकि उसकी एक मुस्लिम मित्रा है जो उसके साथी नहीं होने वाली है।

श्यामु ने अपनी मुस्लिम मित्रा से बात किया और उसने उसे बताया कि उसने एक काफी बड़ी समस्या में फंस गया है। उसकी मुस्लिम मित्रा ने उसे अपना प्रिंट नंबर दिया जिसे उसे यहाँ जल्दी संपर्क करना था।

श्यामु ने एक महत्वपूर्ण विचार किया, दोस्तों को आपस में बांटते हुए, हमेशा दूर रहने के लिए एक समय नहीं होता है। वे रामु को सोचने लगे कि जब एक छोटी सी दोस्ती इतनी मजबूत हो सकती है, तो दोस्ती के रंग कभी फीके नहीं हो सकते। वे अपनी दोस्ती का रंग सारी दुनिया में बिखरा देना चाहते थे।

श्यामु ने अपना मित्रा चंदन के साथ मिलकर उसके पास सभी संपर्कों को देखने और संबंधितों से बात करने के लिए मदद करने का सपना देखा। अगले सितारे की खोज में, दोस्तों के साथ निरंतर होते हुए उसे एक हुबसुरत साथी मिल गया।

श्यामु की दोस्ती रामु के साथ उसने अपनी अद्भुत खोजों को साझा किया और जिस तरह से उनकी दोस्ती और उनका साथ एक और से मिल रहा था, उनकी दोस्ती उन्हें समाज के किनारों पर उठाने में मदद की।

इस दोस्ती में रंग सदैव चमकता रहा और वे सभी एक एक दूसरे का साथ समझ गए कि इसीलिए हमें एक दूसरे के साथ करीबी रहना चाहिए जो कि दोस्ती की भावनाओं को जीवित रखता हैं।

कागा जी

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