भूतिया साइकिल
एक सुंदर गांव में राजा श्रीकांत का राज मालूम हो गया कि अंधेरी रात को गांव के नजदीक एक पुरानी साइकिल बार-बार उसी इलाके में दिखाई देती थी। लोग कहते थे कि उस साइकिल की सुनने वाली ध्वनि गांव के रास्तों में हमेशा सुनाई देती है और उसे देखने वाला व्यक्ति भी किसी कारण से अचानक गायब हो जाता है। राजा ने देखो देखो कहकर अपने लोगों को साइकिल खोजने और इसके रहस्य को हल करने का आदेश दिया।
चंद्रमोहन नामक एक बहादुर लड़का राजा के आज्ञानुसार साइकिल की खोज करने के लिए गांव के पास के जंगल में जा उठा। उसने अनेक दिन और रातों तक साइकिल ढूंढ़ी, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। मगर एक दिन जब वह झुलस रहे पेड़ के पास साइकिल को छू रहा था, उस पर एक भूत संभवत: उपस्थित हुआ। यह भूत काफी पुराना रूप में दिख रहा था।
“कौन हो तुम?” चंद्रमोहन को हक का उपयोग करते हुए पूछा।
उस भूत ने कहा, “मैं एक गरीब आदमी था। मेरी साइकिल के कारण ही मैं मर गया। अपनी मौत के बाद मेरी आत्मा साइकिल के साथ बंध गई है। अब मैं इसे हर रात को लिया हूँ और इसे गांव के पास चलाता हूँ।”
चंद्रमोहन को समझ में आया कि इस भूत की सितंबर में कोई भी स्थिति थी और उसकी मदद करने की जरूरत थी। उसने सोचा कि श्रीकांत राजा को यह मालूम करना चाहिए।
ऊपरों में चंद्रमोहन ने राजा के आइने में बताया कि वह किसी भूतिया साइकिल से मिला था जो रात को गांव के पास चल रही थी। राजा ने चंद्रमोहन से कहा, “तुम बिना किसी आराम और आपाधापी मिले, केवल उससे बात करो और उसे पूछो कि उसका कोई व्यक्ति उसे द्वारा सौंपता है। पूछो कि आगे चलने के लिए क्या ही उसारना पड़ता है।”
चंद्रमोहन के दिल में संदेह था लेकिन राजा के आदेशों का पालन करके उसने सही कीचड़ में से वह साइकिल निकाली और पूछा, “आप सलामत हैं?”
भूत मुसकराया और कहा, “हां, मैं ठीक हूं। कृपया मुझे एक नई साइकिल लेने के लिए 500 रुपये दे दें। तभी मैं यहीं रुकूंगा और इसे आपको दूंगा।”
चंद्रमोहन ने समझा कि भूत से इस तरह की बातें करना व्यर्थ है। उसने पुरे धैर्य के साथ कह दिया, “मेरे पास ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से आप 500 रुपये ले सकते हैं और आपको ऐसे कोई व्यक्ति भी मिल सकता है जिसके बारे में आप संतुष्ट हों।”
भूत यह सुनकर यह जानने के लिए आकर्षित हुए, “ठीक है, मुझे बताओ, कैसे करें?” उसने प्रश्न किया।
चंद्रमोहन ने बताया, “आप उस व्यक्ति के पास चलते हैं, जिसके द्वारा आपको द्वारा बनाया गया था। उसे खोजें और उससे पूछें कि कहां से वह साइकिल खरीदी गई थी। फिर आगे चलते हुए उसे पूछें कि क्या उसे कभी आपकी साइकिल को किसी ऐसे व्यक्ति को दिखाया गया है जिसे आप द्वारा दिया गया है और पूछिए कि फिर वह कभी आगे नहीं चलती है। जब ऐसा होता है तो उसे पूछें कि उस समय उसे मिलने वाले व्यक्ति ने क्या कहा था।”
भूत ने धीरे-धीरे सभी पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब दिए। चंद्रमोहन को समझ में आया कि एक बर्तनधार द्वारा साइकिल को खरीदा गया था और बाद में वह व्यक्ति आगे नहीं चल सका था। वह हर बार उस व्यक्ति के इंसानों को भी कहता था कि साइकिल को अगली बार किसी और को दे देना चाहिए।
चंद्रमोहन ने धीरे-धीरे साइकिल की कहानी को इकट्ठा किया और उसे और राजा को बताने के लिए लौट आया। जब राजा ने सुना, वह खुश हुआ और चंद्रमोहन को बड़ी सराहना दी। राजा ने तुरंत एक कबिला निकाला और उसे साइकिल खरीदने के लिए बताया।
ये खास साइकिल के रंगों से बनी थी, जो कि सभी गांववालों के आपसी समझ में थे। राजा ने यह साइकिल अपनी गड़ी में रखकर उसे एक ब्रांड न्यू वाणी में बदल दिया। अब कोई भी व्यक्ति इसे चुरा नहीं सकता था क्योंकि यह सिर्फ गांव के निवासियों के लिए महत्वपूर्ण था।
तभी से उस गांव में दुकानदार, चोटू शो, गांव के परिवारों की गुप्ताओं का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था। वहाँ के लोग बड़ी खटासे खुश थे और राजा को धन्यवाद दिया। सभी लोग अब इसे एक प्रकार से सुंदर मंदिर के रूप में मानते थे जहां वे ध्यान देने आए और पूजा पाठ करने के लिए आए। इस साइकिल की खासियत थी कि इसके पहले कुछ ही दिनों में, इसे उधार लेने वाले इंसानों को गांव के लिए बदलना होता है।
हर किसी ने पूछना शुरू कर दिया कि किस व्यक्ति को उसकी साइकिल चढ़ानी चाहिए। धीरे-धीरे, यह खबर पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई। लोग इस खोज में शामिल हुए और एक-दूसरे से पूछने और साइकिल चढ़ाने की प्रतिभा को पहचानने लगे। सभी लोग अपने-अपने स्थानों पर जाकर नीचे वाले भाग में चर्चा करने लगे और उन्हें इच्छायुक्त लोग को ज्ञात कराने का कार्यभार सौंप दिया गया था।
तेजी से एक भी अच्छी प्रतिभा खोजी नहीं गई और अब भी साइकिल सुस्ती से चल रही थी। किसी दिन, एक गरीब लड़के ने आगे बढ़कर कहा, “मैं चाहता हूं कि सभी लोगों के सामान्य प्रतिभाओं की जांच करनी चाहिए। सभी लोग उन्हें बराबरी में मौका देने के लिए योग्य हैं।”
जब लोग ने सुना कि कोई आदेश था, तो वे सोचे कि यह विचार ठीक ही है और