विश्वास और समर्पण
यह कहानी है एक गांव की, जहां एक मेहनती और ईमानदार किसान रहता था। उसका नाम रामचंद्र था। वह अपनी जमीनों में फल, सब्जी और धान की खेती करता था। उसके पूरे समय और मेहनत का नतीजा यह होता था कि उसकी फसलें हमेशा सबसे अच्छी और पूरी उम्र तक टिकी रहती थी।
एक दिन रामचंद्र ने गांव के किसान समूह के साथ एक बागीचे में उद्यानिकी कुछ नई तकनीकों के बारे में सीखने का फैसला किया। इस उद्यानिकी के मामले में उनका एक बहुत अच्छा दोस्त हुआ, जिसका नाम विक्रम था। विक्रम, एक अनुभवी फसल विज्ञानी, उन्हें नई तकनीकों और मेहनत के घटियाकरण के बारे में शिक्षा देने के लिए तैयार था।
रामचंद्र और विक्रम की अत्यधिक मेहनत और धैर्य के बावजूद, कुछ लोग उनकी मदद के अभाव में उनके किसानी के तरीके पर उनका मज़ाक उड़ाते थे। धीरे-धीरे, यह लोग उनके उद्यानिकी पर नजर देने लगे और आश्चर्यचकित हुए कि रामचंद्र की फसलें काफी अच्छी उगाई गई थीं।
एक दिन एक प्रमुख किसान समूह ने उन्हें टेस्ट के लिए आमंत्रित किया जहां उन्हें विभिन्न उद्यानिकी तकनीकों की परीक्षा करनी थी। दिन बिताने के बाद, जब नतीजे घोषित किए गए, तो रामचंद्र और विक्रम को उनकी फसलों के जितने के लिए चुना गया।
रामचंद्र और विक्रम को इस खुशी में कोई राहत नहीं थी। वे बस उनकी मेहनत पर गर्व कर रहे थे और उन्होंने पुरे जोश के साथ अपने गांव की तरफ लौटने की यात्रा शुरू की। वापस आते हुए, उन्होंने देखा कि उनके गांव के लोगों के आँखों में कोई गर्व की चमक नहीं थी। बल्कि, उनकी जगह नई स्वान्तत्र्यता की चमक नजर आ रही थी।
इसके बाद से जब भी रामचंद्र और विक्रम उनकी फसलें ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए मंडी जाते थे, वे अपने चहुँओरों से सिर्फ़ आश्चर्यचकित नजरों का सामवेश देखते थे। अब कुछ लोग उनके पास आकर उनसे अनुभव की बाते करने लगे। इन अनुभवों में, उन्होंने फसल विज्ञान, कृषि नियंत्रण और मेहनत के अलावा अंदाजा लगाया कि इन लोगों ने बिना किसी गरज के किसानों को सशक्त बनाया था।
यह अनुभव रूपी मतदाणे दिखाई देने वाले संकेत हो सकते हैं, लेकिन इन्हे बिना संगठनित कर्म कौशल और स्वयंसेवकों के समर्मपण के बिना यह हकीकत नहीं बन सकते। इसीलिए, रामचंद्र ने तत्परता से कार्य किया और साथियों को इस कार्य में भागीदार बनाया।
इस सफलता के बाद, रामचंद्र का गांव एक किसान समूह बना लिया था, जिसमें २० से ज्यादा किसान शामिल थे। वे इस समूह के ग्रामीण संगठन द्वारा किसानों को नवीनतम खेती तकनीकों, बढ़िया बीजों और उनके औद्योगिक उत्पादों के बारे में शिक्षा और आपूर्ति प्राप्त करने के लिए संगठित हो गए थे।
अब, रामचंद्र एक मजबूत और मददगार समूह के साथ खेती करता था और उन्होंने अब तकनीकों में नवीनतम अद्यतित होने के साथ अंदाजा लगाया था कि उनकी फसलें उनकी पहचान बन चुकी थी।
यह कहानी एक ईमानदार, मेहनती और समर्पित किसान की है, जिसने नए तकनीकों का इस्तेमाल किया और सक्रिय साथियों की मदद से अद्यतित हो गए। उन्होंने अपनी मेहनत पर विश्वास करते हुए और संगठित समूह के साथ काम करते हुए इस दुःखभरे कृषि सेक्टर में विश्वास को बनाए रखा।