शुक्रवार का परीक्षा
शुक्रवार का दिन आते ही मन खुशियों से सहर्ष महसूस करने लगता है। शुक्रवार का दिन स्कूलों और कॉलेजों में ज्यादा अहम होता है क्योंकि इस दिन शिक्षार्थियों को अपनी टेस्ट और परीक्षाओं का नतीजा मिलता है।
आज का दिन समान रूप से बिना थकान के खुशी का प्रतीत हो रहा था। सभी विद्यार्थियों के चेहरे पर मुस्कान और आशा का संगम था। लेकिन इस दिन कॉलेज के कुछ विद्यार्थियों के चेहरों पर दुख और चिंता थी।
विद्यार्थी रोहित जैन ने आज की कॉम्पटीशन टेस्ट में अच्छे नंबर नहीं लिए थे। रोहित एक अच्छे छात्र थे लेकिन आज उन्होंने परीक्षा में कुछ सवाल बिना सोचे समझे उत्तर देने के कारण बौखला गए थे।
साथ ही रोहित के साथ एक और छात्र विक्रम ने भी खुश नहीं होता था, क्योंकि उन्हें अभी तक जॉब मिला नहीं था। उनका देश में लगभग 90 फीसदी युवा बेरोजगार होते हैं और विक्रम भी उनमें से एक था। वे इसलिए असंतुष्ट रहते थे कि उनका मार्क नहीं पूरी तरह से सामान्य लिया गया था।
ये दोनों छात्र अपने बिते कुछ महीनों में कई समय से सिर्फ अपने नुकसान का संग्रह करते दिखाई देते थे। हालांकि इस दिन उनकी जिंदगी में कुछ अच्छा हुआ था।
टेस्ट के रिजल्ट घोषित करते हुए सर पंडित ने एक चेहरे को बड़ी संतुष्टि दी थी – रोहित को उनकी परफेक्ट प्रदर्शन की सराहना की गई थी।
रोहित की खुशी का कोई अंत नहीं आ रहा था। उन्होंने दोस्तों को अपने नतीजों का पता चला ही दिया और उनकी खुशी में उन्होंने विक्रम के पास जाकर उन्हें आशीर्वाद देना भी भूल नहीं गया।
उन्होंने कहा, “दोस्त, मैं जानता हूँ कि तुम असफल से हो रहे हो, लेकिन फिर भी तुम अपने अनुकूल हो। मुझे कभी नहीं लगा था कि मुझे टॉप में दिखाने के अलावा और कुछ और भी प्राप्त करना होगा। इसलिए, मुझे विश्वास है कि तुम भी सफलता के लिए तैयार हो जाओगे।”
विक्रम के आंखों में एक नई आशा थी। यह उनके दोस्त के शब्द दिल के अंदर समझ रहे थे। वह रोंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव था।
मुख़्यमंत्री आयोग ने हाल ही में ओडिशा के विद्यार्थियों के लिए नौकरियां दिलाने के लिए एक भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। इस भरती में ७३,००० नौकरियां उपलब्ध हैं।
इस खबर से उत्सुक होकर सभी विद्यार्थी बहुत खुश थे। विक्रम ने इस बारे में ध्यान नहीं दिया था। उन्होंने सोचा कि वे एक शरीर बना सकते हैं जो इस मुश्किल विपणि का सामना कर सकता है।
वह अपनी कक्षा में सबसे पहले बैठता था और वह कभी अपनी क्लास में सबसे पहले जाता था। उन्होंने हमेशा सफलता के लिए काम किया था।
समय बीतता गया और लगभग एक वर्ष बीत गया। विक्रम ने अपनी नौकरी पा ली थी। उनके पंजीकरण फार्म भरे जाने के कुछ दिन बाद उन्हें नौकरी मिल गई थी।
रोहित ने कहा, “बहुत बधाई हो, दोस्त। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तुम बड़े आदमी बनोगे।”
विक्रम ने उत्तर दिया, “धन्यवाद, यह संभव हुआ। तुम्हारे शब्दों ने एक नई जानकारी दी है कि कुछ करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। और मुझे समझ में आ रहा है कि यही हमारी सबसे बड़ी कमियाँ हैं, वह बिना सोचे-समझे हमेशा ही के रूप में चलते हैं।”
रोहित ने हँसते हुए कहा, “हां, सही कहा तुमने। हमें वह सब नहीं बोलना चाहिए जो हम नहीं सोचते हैं, अलग-अलग चीजों का मूल्यांकन करना और अपनी महत्वपूर्ण चीजों के लिए अपनी भूमिका निर्धारित करना सीखना चाहिए।”
फिर विक्रम ने नौकरी मिलने के बाद उसकी संभवनाओं के बारे में भी सोचा। वे अपनी नौकरी से काफी खुश थे और यह फैसला लिया कि वे अपनी नौकरी में ऊब न होंगे।
फिर विक्रम ने अपने दोस्त रोहित से निवेदन किया कि वे अपनी समय और मूल्यांकन करना सीखें ताकि वे एक जीता हुआ ईंट और महसूस नहीं हों।