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इन्सानियत की जीत एक बड़ा शहर था जिसमें ढेर

Title: इन्सानियत की जीत

एक बड़ा शहर था जिसमें ढेर सारे लोग रहते थे। यहाँ पर सारे लोग अपने-अपने जिंदगी के काम में व्यस्त रहते थे। केवल श्रीमान गुप्ता ही थे जो दूसरों के दुख-दर्द के लिए भी समय निकालते थे।

आज भी एक बार श्रीमान गुप्ता को एक लड़की ने ठंडी सी रात के कारण दीवार के नीचे सोते हुए पाया था। श्रीमान गुप्ता ने उसकी मदद की और उसे उसके घर तक ले जाकर छोड़ दिया। लेकिन उस लड़की को ऐसी चोट पहुंच गई थी कि वह मुर्दा हो गयी।

लड़की की मृत्यु से सभी लोग वहीं पर उदास हो गए। रोते-हुए श्रीमान गुप्ता को सभी लोगों ने बुरा होते हुए देखा। उनमें कुछ लोगों ने उन्हें कसम खिलाई कि उन्हें तंग नहीं करेंगे और उन्हें इस शहर से निकाल देंगे।

श्रीमान गुप्ता बवाल में पड़ गए। वह सभी को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि उन्होंने कुछ भी बुरा नहीं किया। लेकिन कुछ नहीं सुनते थे। थोड़ी देर बाद श्रीमान गुप्ता ने शहर छोड़ दिया।

चंद घंटों के बाद श्रीमान गुप्ता की जानकारी यूँ ही सभी लोगों को मिल गई। श्रीमान गुप्ता ने किसी को कुछ नहीं बताया कि आखिर उन्होंने कहाँ जाना है।

दो दिनों के बाद श्रीमान गुप्ता को दौरा पड़ा एक उत्सव में। वहाँ पहुंचते ही सभी लोगों ने उन्हें देख लिया। इसके बाद उन्होंने उनकी सराहना शुरू कर दी कि उन्होंने जब भी किसी को मदद मांगते थे, तब वह इन्सानियत की ही मदद करते थे।

सभी लोगों ने उन्हें माफ कर दिया और उन्हें शहर में वापस बुलाया। श्रीमान गुप्ता ने पूरी दुनिया को ये सबक सिखाया कि जिंदगी में हर कोई अपने-अपने काम में व्यस्त होते हैं। लेकिन यदि हम समय निकालकर किसी को अपनी मदद कर सकते हैं, तो हमारी इन्सानियत जीतने वाली होती है।

श्रीमान गुप्ता की इन्सानियत ने सबको सच्चाई दिखाई कि ज्यादा व्यस्त रहकर दूसरे के दर्द से अपने आप को छोटा मत करें। हमारी मदद से दूसरों के जीवन में मुस्कुराहट लाने में हमेशा हमारी जीत होती है।

कागा जी

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